JOA IT Protest News: हिमाचल प्रदेश में JOA IT के अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर बीते काफी समय से अनशन पर बैठे हैं. इन्हें विपक्ष का समर्थन भी मिल रहा है. आज नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी इनके समर्थन में आ गए.
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समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में JOA IT अभ्यर्थी लगभग 7 दिन से क्रमिक अनशन पर बैठे हुए हैं. अभ्यार्थियों की मांग है कि उनके पेंडिंग रिजल्ट को क्लियर किया जाए. अभ्यर्थियों का कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से लगातार आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ हाथ नहीं लग रहा है. लगातार चल रहे अनशन के बीच आज नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर JOA IT अभ्यर्थियों से मिलने पहुंचे.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कांग्रेस पर तंज
इस दौरान जयराम ठाकुर ने कहा कि वह इस मुद्दे को सदन में उठाएंगे. साथ ही कहा कि वह अभ्यर्थियों के साथ हैं. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से क्लीयरेंस मिलने के बाद भी सरकार इनके रिजल्ट्स अनाउंस नहीं कर रही है. इससे साफ दिख रहा है कि इन अभ्यर्थियों के साथ गलत हो रहा है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गईं गारंटीयों पर तंज कसते हुए कहा कि चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी की ओर से 5 साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन 1 साल हो चुका है अभी कर नई भर्तियां तो दूर पुराने पेंडिंग रिजल्ट्स भी सरकार नहीं निकाल रही है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को काम करने की बजाय काम बंद करने में आनंद आता है, लेकिन पूरा विपक्ष इन अभ्यर्थियों के साथ है.
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गौरतलब है कि बड़ी संख्या में JOA-IT पोस्टकार्ड 817 के अभ्यार्थी अपना दर्द लेकर हिमाचल प्रदेश राज्य सचिवालय के बाहर पहुंचे, जिसकी वजह है 4 वर्षों से लगातार नौकरी पाने का इंतजार. वह इंतजार जो परीक्षाएं पूरी करने के बाद खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन ये बेरोजगार युवा अभी भी अपने हक की नौकरी पाने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कानूनी लड़ाई लड़ने के बावजूद भी अभी तक इन युवाओं को नौकरी नहीं मिल पाई है.
सिस्टम से हताश JOA-IT के एक अभ्यार्थी ने बताया कि वह सिरमौर से हैं. वह नौकरी के लिए पिछले 4 वर्षों से केवल संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह अकेले नहीं हैं जो इस तरह संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि करीब 6000 परिवार इसी मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं. सौरभ शर्मा ने बताया कि उनकी भर्ती का मामला पहले उच्च न्यायालय में गया फिर सर्वोच्च न्यायालय गया. इसके बाद 9 नवंबर 2030 को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि इनकी भर्ती साल 2020 के रूल के मुताबिक की जाए.
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