Karva Chauth Ki sampurn Katha: आज करवा चौथ (Karwa Chauth) है. आज के दिन महिलाएं अपनी पति के लिए व्रत रखती है. आज के इस खबर में जानिए चांद निकलने का शुभ मुहूर्त और करवा चौथ ही पूरी कहानी (karva Chauth ki Kahani Sunayen).
Trending Photos
Karva Chauth Ki Kahani in Hindi: महिलाओं का सबसे पवित्र और खास पर्व करवा चौथ 13 अक्टूबर यानी की आज है. यह कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि है. ऐसे में इस व्रत को लेकर महिलाएं काफी ज्यादा उत्साहित रहती हैं. यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं. इस दिन महिलाएं सज-धज कर पूरे सोलह श्रृंगार के साथ अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चांद के दीदार के बाद ही अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत को खोलती हैं. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही यह व्रत पूरा होता है.
Election: हिमाचल में 14 अक्टूबर को प्रियंका गांधी का चुनावी शंखनाद, जनसभा को करेंगी संबोधित
चांद निकलने का टाइम - (Karva Chauth Pr Chand Niklne Ka Time)
दिल्ली- 08 बजकर 09 मिनट पर
नोएडा- 08 बजकर 08 मिनट
लखनऊ- 07 बजकर 59 मिनट
मुंबई- 08 बजकर 48 मिनट
शिमला- 08 बजकर 03 मिनट
जयपुर- 08 बजकर 18 मिनट
गांधीनगर- 08 बजकर 51 मिनट
पटना- 07 बजकर 44 मिनट पर
देहरादून- 08 बजकर 02 मिनट
अहमदाबाद- 08 बजकर 41 मिनट
बंगलूरू- 08 बजकर 40 मिनट पर
गुरुग्राम- 08 बजकर 21 मिनट पर
चंडीगढ़- 08 बजकर 06 मिनट पर
कानपुर- 08 बजकर 02 मिनट पर
लुधियाना- 08 बजकर 10 मिनट पर
इंदौर- 08 बजकर 27 मिनट पर
प्रयागराज- 07 बजकर 57 मिनट पर
कोलकाता- 07 बजकर 37 मिनट पर
सतना- 08 बजकर 09 मिनट पर
ग्वालियर- 08 बजकर 11 मिनट पर
मध्यप्रदेश- 08 बजकर 21 मिनट पर
जम्मू- 08 बजकर 08 मिनट पर
असम - 07 बजकर 11 मिनट पर
करवा चौथ कथा (Karva Chauth ki Kahani Hindi mein)
Karva Chauth ki Kahani: एक ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री वीरावती थी. वह इकलौती बहन होने के कारण सबकी लाडली थी. सभी भाई उससे बहुत प्रेम करते थे. जब वीरावती सयानी हो गई तो उसका विवाह एक ब्राह्मण युवक से हुआ. शादी के तुरंत बाद वीरावती एक दिन मायके आई. फिर अपनी सातों भाभियों को देख उसने भी करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन शाम होते-होते वो भूख और प्यास से बेचैन हो गई. अपनी बहन को व्याकुल देख भाइयों से रहा नहीं गया. सभी मिलकर उसे खाना खाने के लिए मनाने लगे, लेकिन वीरावती ने खाना या पानी पीने से इंकार कर दिया. उसने कहा कि वो चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अब अन्न और पानी को हाथ लगाएगी.
वहीं, चंद्रोदय में देरी को देखते हुए भाईयों ने एक तरकीब खोजा. फिर एक भाई पीपल के पेड़ पर चढ़कर एक दीपक जलाकर उसे चलनी की ओट में रख देता है. ताकि दूर से देखने वह चांद की तरह दिखे और ऐसा ही हुआ. फिर दूसरे ने आकर वीरावती से कहा कि चांद निकल आया है. अब तुम अर्घ्य दे सकती हो. इतने में बहन खुश हो गई. तुरंत जाकर चांद को देख उसने अर्घ्य दिया और खाना खाने बैठ गई. वह जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाली तो उसे छींक आ गई. वहीं दूसरे टुकड़े में बाल निकल आया. इसके बाद जैसे ही उसने तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु की खबर आ गई.
फिर, वीरावती की भाभियों ने सारी सच्चाई बताई कि क्यों उसके साथ बुरा हुआ. करवा चौथ का व्रत विधिवत पूरा न होने के कारण पति पर संकट आ गई. क्योंकि ये व्रत गलत तरीके से टूटी थी. इसलिए देवता नाराज होकर आशीर्वाद की जगह श्राप दे दिए. पुरानी कथाओं के अनुसार, इसके बाद इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवा चौथ के दिन धरती पर आईं. इस दौरान वीरावती भी उनके पास गई और अपने पति की रक्षा और उनकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना की. तब देवी इंद्राणी ने वीरावती को करवा चौथ का व्रत पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करने के लिए कहा. इंद्राणी की बात सुनकर वीरावती ने पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत रखा और सच्चे मन से करवा चौथ व्रत पूरा किया. भगवान ने प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया.
Watch Live