Kinnaur Kailash Yatra Date: किन्नौर कैलाश यात्रा 1 अगस्त से शुरू हो रही है, जो 26 अगस्त तक जारी रहेगी. यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट लाना जरूरी होगा.
Trending Photos
Kinnaur Kailash Yatra: देश की कठिनतम धार्मिक यात्राओं में से एक किन्नौर कैलाश यात्रा इस बार आधिकारिक तौर से 1 अगस्त से शुरू होकर 26 अगस्त तक जारी रहेगी. इस दौरान यात्रा मार्ग में सरकार की ओर से रेस्क्यू टीमें और स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं भी उपलब्ध रहेगी, लेकिन इस यात्रा में श्रद्धालुओं को मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट ले जाना जरूरी होगा.
किन्नर कैलाश यात्रा पर अपने साथ जरूर लें जाएं ये चीजें
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 230 किलोमीटर दूर किन्नौर जिला मुख्यालय रिकांग पीओ के समीप तांगलिंग नामक स्थान से किन्नर कैलाश की पैदल यात्रा शुरू होती है. यहां तक वाहन मार्ग से पहुंचा जा सकता है. यात्रा मार्ग काफी जोखिम पूर्ण होने के कारण विभिन्न परेशानियों का भी श्रद्धालुओं को सामना करना पड़ता है. इसलिए यात्रा के दौरान श्रद्धालु गर्म कपड़े, ड्राई फ्रूट्स , किट, डंडा आदि अपने साथ रखें.
यात्रा को तीन दिनों में पूरी की जा सकती है. सरकारी स्तर पर 1 अगस्त से 26 अगस्त 2024 तक आधिकारिक यात्रा आयोजित की जाएगी. यात्रा के लिए पंजीकरण करवाना आवश्यक है. बता दें, इसके लिए रजिस्ट्रेशन 25 जुलाई से आरंभ कर दिया गया है. यात्री ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से पंजीकरण करवा सकते हैं. ऑफलाइन पंजीकरण के लिए जिला पर्यटन विभाग से सम्पर्क किया जा सकता है तथा
ऐसे करें यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन
ऑनलाइन पंजीकरण के लिए https://hpkinnaur.nic.in पर जाकर आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. वहीं ऑफलाइन पंजीकरण के लिए उसी दिन तागलिंग गांव में जाकर आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा. एक दिन में 200 ऑनलाइन व 150 ऑफलाइन पंजीकरण करवाए जाएगें व एक व्यकित एक से ज्यादा बार पंजीकरण नहीं करवा सकते है तथा मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र लाना अनिवार्य होगा.
मेडिकल फिटनेस फॉर्म 25 जुलाई 2024 से इसी वेबसाइट पर उपलब्ध है. जानकारी के लिए बता दें, मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि से एक सप्ताह तक ही मान्य होगी. वहीं, किन्नौर कैलाश की समुद्र तल से ऊंचाई 19850 फिट है. इस स्थान पर एक पत्थर की शिला जिसकी ऊंचाई 79 फिट है. यह दिन में दूर से देखने पर कई रंग बदलता रहता है.
बर्फीली कंदराओं के बीच खड़े इस शीला को ही किन्नौर कैलाश माना जाता है. मान्यता है कि सावन महीने में किन्नौर कैलाश यात्रा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है और शरीर भी स्वस्थ रहता है. इस यात्रा मार्ग में शिव पार्वती के प्रवास के प्रमाण भी मिलते हैं. यात्रा मार्ग में पार्वती कुंड भी है. इस धार्मिक यात्रा में हिंदू और बौद्ध दोनों समुदाय के लोगों में अटूट आस्था है. इस यात्रा को आसपास के इलाकों के लोग अपने जीवन में पूर्ण करना शुभ मानते हैं. यात्रा मार्ग में कल-कल करते झरने, सुंदर फूलों के बाग, बर्फीली चोटियां स्वर्ग की परिकल्पना करवाते हैं.
दविंदर शास्त्री ने बताया कि सावन मास में भगवान शंकर की आराधना करना अत्यंत शुभ माना गया है, जो व्यक्ति भगवान शंकर की स्तुति करेगा उसकी मनोकामना पूरी होती है. पंच कैलाशों में से एक किन्नर कैलाश है. उन्होंने बताया कि यह यात्रा विकट एवं जोखिमपूर्ण है. किन्नौर जिले में स्थित इसकी ऊंचाई 6050 मीटर है, जो भी श्रद्धालु इस महीने भगवान शंकर के स्थान पर जाकर स्तुति करता है. उसकी मनोकामना पूर्ति होती है. वहीं किन्नौर कैलाश हिंदू और बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं का आस्था का प्रतीक है.
रिपोर्ट- विशेषर नेगी, किन्नौर