नेत्रदान को लेकर लोगों में है कई सारी गलतफहमियां, इस खबर में जानें आंखों का दान करना कितना सही!
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नेत्रदान को लेकर लोगों में है कई सारी गलतफहमियां, इस खबर में जानें आंखों का दान करना कितना सही!

Eye Donation misunderstandings: समाज में आज भी अपनी आंख दान करने से संबंधित लोगों के बीच कई गलत धारणाएं. इस खबर में जानिए नेत्रदान को लेकर सभी सवालों के उत्तर. 

नेत्रदान को लेकर लोगों में है कई सारी गलतफहमियां, इस खबर में जानें आंखों का दान करना कितना सही!

Eye Donation: हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर के दौरान देश में राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है और इस दौरान लोगों के बीच नेत्रदान की अहमियत के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. ऐसे में इस खबर में हम आपको बताएंगे नेत्रदान के बारे में, जिसे लेकर सामान्य तौर पर लोगों के बीच कुछ गलतफ़हमियां बन गई हैं. साथ ही इन चीजों को आपको कैसे दूर करना चाहिए. 

इस विषय में खासतौर पर वाशी के अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल की Dr. Vandana Jain, Cornea, Cataract, and Refractive surgeon ने बताया नेत्रदान से जुड़ी कुछ सचाई, जिन्हें  समझने से आपके मन की गलतफ़हमियां दूर हो सकती है. 

यहां पढ़िए कुछ प्रचलित गलत धारणाएं-
1. गलत धारणा- इंसान के जीवित रहते ही उसकी आंखें निकाली जा सकती हैं. 

सही जवाब- ऐसा नहीं है आंखें केवल मरने के बाद ही निकाली जा सकती हैं.  नेत्रदान को सुरक्षित और नैतिक बनाने के लिए यह प्रक्रिया मृत व्यक्तियों पर की जाती है. 

2. गलत धारणा- जीवित व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकता है.

सही जवाब- जीवित व्यक्ति अपनी आंखें दान करने का संकल्प ले सकते हैं, लेकिन वास्तविक नेत्रदान तो व्यक्ति के मरने के बाद ही होता है. 

3. गलत  धारणा- आंखें निकालने से चेहरा ख़राब हो जाता है. 
  
सही जवाब- आंखें निकालने के बाद ऐसा दिखाई नहीं देता कि मृत व्यक्ति का चेहरा ख़राब हो गया है. 

4. गलत  धारणा- नेत्रदान से अंतिम संस्कार की परंपरा में रुकावट आती है या उसमें देरी होती है. 

सही जवाब-  नेत्रदान से अंतिम संस्कार की परंपरा में कोई रुकावट नहीं आती है या उसमें देरी नहीं होती है. कॉर्निया निकालने की प्रक्रिया में 20 मिनट से भी कम समय लगता है, साथ ही इस प्रक्रिया को पूरे सम्मान और कुशलता से किया जाता है. 

5. गलत  धारणा- नेत्रदान करने की इच्छा रखने वाले बुजुर्गों की आंखें स्वीकार नहीं की जाती हैं. 

सही जवाब- सभी उम्र के दाताओं की आंखें स्वीकार की जाती हैं और ट्रांसप्लांटेशन के लिए उनका उपयोग किया जा सकता है, जिनमें समय से पहले जन्मे या मृत पैदा हुए बच्चे भी शामिल हैं. 

6. गलत  धारणा : भारतीय लोगों की आंखें कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन के लिए उपयुक्त नहीं हैं.
  
सही जवाब- उचित परीक्षण के बाद, किसी भी मृत व्यक्ति की आंखों का उपयोग कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन के लिए किया जा सकता है. चाहे वह किसी भी देश का नागरिक हो. 

7. गलत  धारणा- पूरी आंख का ट्रांसप्लांट किया जा सकता है.

सही जवाब- ट्रांसप्लांट के लिए सिर्फ़ कॉर्निया का उपयोग किया जाता है, जो आंख के सामने का पारदर्शी हिस्सा है.

8. गलत  धारणा- कॉर्निया का ट्रांसप्लांटेशन एक प्रायोगिक प्रक्रिया है.

सही जवाब- कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन सामान्य तौर पर की जाने वाली सर्जरी है, जिसकी प्रक्रिया अच्छी तरह व्यवस्थित होती है और इसकी सफलता दर बहुत अधिक है. 

9.गलत  धारणा- भारतीयों की आंखों में कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन कारगर और सफल नहीं है.
  
सही जवाब- किसी भी देश के लोगों की आंखों के लिए कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया पूरी तरह कारगर और सफल होती है. बशर्ते कि इसे सर्वोत्तम परिस्थितियों में किया जाए.

10. गलत धारणा- इंसान की आंखें खरीदी या बेची जा सकती हैं. 
  
सही जवाब- इंसान की आंखों खरीदना या बेचना गैरकानूनी और अनैतिक है. 

11. गलत  धारणा- मृत्यु के बाद केवल वे लोग ही नेत्रदान कर सकते हैं, जिन्होंने पहले से अपनी आंखें दान कर रखी हैं. 
  
सही जवाब- नेत्रदान के लिए पहले से वचन देना अनिवार्य नहीं है. इसके लिए परिवार के सदस्यों की सहमति सबसे ज़्यादा मायने रखती है, जो हर मामले में आवश्यक है. फिर चाहे व्यक्ति ने पहले से नेत्रदान करने का वचन दिया हो या नहीं.

नेत्रदान के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने और इसमें भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए इन गलत धारणाओं को दूर करना बेहद ज़रूरी है. इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने या इसमें शामिल होने के लिए, कृपया अपने नजदीकी नेत्रदान संगठन से संपर्क करें. 

Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. ज़ी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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