Himachal: सरकारी नौकरी छोड़ खेतीबाड़ी को बनाया रोजागार, आज लाखों रुपये कमा रहा हिमाचल का युवा किसान
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Himachal: सरकारी नौकरी छोड़ खेतीबाड़ी को बनाया रोजागार, आज लाखों रुपये कमा रहा हिमाचल का युवा किसान

Farmer News: एक ओर जहां देश का युवा खेतीबाड़ी छोड़कर सरकारी नौकरी की तरफ बढ़ रहा है वहीं, हिमाचल प्रदेश में सुनील दत्त नाम का एक युवा पढ़ा-लिखा होकर भी खेतीबाड़ी कर सालाना लाखों रुपये कमा रहा है. 

Himachal: सरकारी नौकरी छोड़ खेतीबाड़ी को बनाया रोजागार, आज लाखों रुपये कमा रहा हिमाचल का युवा किसान

विपन कुमार/धर्मशाला: एक समय था जब देश का एक बड़ा वर्ग आजीविका के लिए खेतीबाड़ी पर निर्भर था और वह खेतीबाड़ी करके ही अपनी गुजर बसर करता था, लेकिन समय के साथ बदलाव आने लगा और गांव का किसान खेतीबाड़ी छोड़कर रोजगार की तलाश में शहरों की ओर बढ़ने लगा. आज की युवा पीढ़ी भी खेतीबाड़ी से दूर होकर सरकारी नौकरी की तरफ बढ़ती जा रही है. जबकि कुछ लोग पढ़े-लिखे होने के बावजूद स्वरोजगार अपना कर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन कर नई मिसाल पेश कर रहे हैं.

सुनील दत्त बनना चाहते थे कृषि वैज्ञानिक
आज हम आपको एक ऐसे ही पढ़े-लिखे युवा की कहानी बताने जा रहे हैं जो बचपन से ही कृषि वैज्ञानिक बनना चाहते थे, ताकि वह गरीब किसानों के दर्द को समझ कर उनकी मदद कर सकें. सुनील दत्त नाम के इस युवा ने डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) से बीएससी, एमएससी (औद्यानिकी) की डिग्री लेने के बाद साल 2006 में चंडीगढ़ में एग्रो डच इंडस्ट्रीज लिमिटेड में बतौर प्रबंधक अपनी सेवा शुरू की.

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सुनील दत्त ने कृषि क्षेत्र में मिल रहे इन अवसरों का फायदा उठाते हुए साल 2012 में मशरूम का कारोबार शुरू किया. इसके लिए उन्होंने नगरोटा सूरियां विकास खंड के तहत अनुही गांव में 12 कनाल भूमि खरीदी, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते वे अपने मकसद में सफल नहीं हो पाए, लेकिन उन्होंने हार ना मानी और इसके लिए उन्होंने बागवानी विभाग से संपर्क किया, जिसके बाद सुनील ने केंद्र प्रायोजित एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत वर्ष 2016 में बैंक से एक करोड़ रुपये का ऋण लेकर धौलाधार मशरुम फार्म खोल कर अपना कारोबार शुरू किया. 

25 लोगों को दे रहे रोजगार
इसके लिए उन्हें प्रदेश के बागवानी विभाग द्वारा 22 लाख रुपये का अनुदान दिया गया. इस राशि से सुनील ने अनुही में मशरुम व खाद तैयार करने की इकाई स्थापित की है. कड़ी मेहनत कर आज सुनील ऊंचाइयों को छू रहे हैं. सुनील आज अपने इस प्लांट में 5 क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं, जिसे वह सीमांत राज्य जम्मू, पंजाब व हिमाचल प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में बेच कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. इतना ही नहीं वह अपने मशरूम यूनिट में 25 स्थानीय महिला और पुरुषों को रोजगार भी दे रहे हैं. 

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सलाना कमा रहे लाखों 
सुनील ने बताया कि वह अपने प्लांट में हर साल करीब 2 करोड़ रुपये के मशरूम व खाद का कारोबार कर 35 से 40 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं. मशरुम उत्पादन से उन्होंने समाज में एक अलग पहचान बनाई है. उन्होंने बताया कि पहले उन्होंने कुछ समय प्राइवेट नौकरी की. इसी बीच उन्होंने सरकारी नौकरी का भी ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने सरकारी के बजाए खेती करना बेहतर समझा. 

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