16 जुलाई, 1969 को लॉन्च किया गया अपोलो 11 मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में एक बड़ी उपलब्धि थी। 20 जुलाई, 1969 को अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन 'बज़' एल्ड्रिन ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा था. इस मिशन ने न केवल अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर चिह्नित किया, बल्कि भविष्य के चंद्र अन्वेषणों का मार्ग भी प्रशस्त किया.
इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस की थीम, 'छाया को रोशन करना', अपोलो 11 मिशन की 55वीं वर्षगांठ का जश्न मनाती है। यह थीम हमें चंद्रमा के अज्ञात पहलुओं और ज्ञान और अन्वेषण के लिए हमारी निरंतर खोज पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
हाल ही में, 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया भारत का चंद्रयान 3 मिशन देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ. 23 अगस्त, 2023 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की, जिससे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, यूएसएसआर और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया. इस मिशन की सफलता ने इसरो की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाया है, जो अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की बढ़ती क्षमताओं को उजागर करता है.
इसरो पहले से ही चंद्रयान 4 मिशन पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा से नमूने वापस धरती पर लाना है। इसके अतिरिक्त, संगठन 2028 तक भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉड्यूल भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है। ये महत्वाकांक्षी परियोजनाएँ भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को आगे बढ़ाने और वैश्विक ज्ञान में योगदान देने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं
अच्छी खबर यह है कि अंतरिक्ष अन्वेषण का यह उभरता हुआ क्षेत्र छात्रों के लिए करियर के अवसरों का खजाना प्रदान करता है! अंतरिक्ष वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री बनने से लेकर अंतरिक्ष यान इंजीनियरिंग और अंतरिक्ष विज्ञान में उद्यमिता में संलग्न होने तक, संभावनाएं ब्रह्मांड जितनी ही विशाल हैं! भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS) जैसे संस्थान महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष पेशेवरों के लिए उत्कृष्ट कार्यक्रम और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं.
भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में खुद को मजबूती से स्थापित किया है, जो दुनिया भर में चौथे स्थान पर है. चंद्रयान 3 और आदित्य एल 1 जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं ने अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में भारत के नेतृत्व को मजबूत किया है, जो निश्चित रूप से हमारे देश के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को प्रेरित करेगा.
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