कोर्ट ने कहा- समाज की 'सेहत' के लिए नुकसानदेह हैं कुंद्रा, गहना की भी ज़मानत अर्जी खारिज
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कोर्ट ने कहा- समाज की 'सेहत' के लिए नुकसानदेह हैं कुंद्रा, गहना की भी ज़मानत अर्जी खारिज

अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने इस मामले में सही कानूनी प्रक्रिया का पालन किया है. अदालत के आदेश की काॅपी मंगल को उपलब्ध हुई है.

गहना वशिष्ट

मुंबईः मुंबई की एक अदालत ने फिल्म अदाकारा शिल्पा शेट्टी के खाविंद और कारोबारी राज कुंद्रा और उनके सहयोगी रेयान थोर्प की जमानत की अर्जी खारिज कर दी. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि दोनों को जिस मुबैयना गुनाह के लिए गिरफ्तार किया गया है, वह समाज की सेहत के लिए ‘‘नुकसानदेह’’ था, और ऐसे मामलों में समाज के हित की ‘‘अनदेखी’’ नहीं की जा सकती है. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस बी भाजीपाले ने ऐप्स के जरिए अश्लील सामग्री के मुबैयना निर्माण और उसकी स्ट्रीमिंग से संबंधित मामले में 28 जुलाई को कुंद्रा और थोर्प की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह टिप्पणी की थी. अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने इस मामले में सही कानूनी प्रक्रिया का पालन किया है. अदालत के आदेश की काॅपी मंगल को ही उपलब्ध हुई है. वहीँ दूसरी जानिब मंगल को एक सेशन कोर्ट ने अभिनेत्री गहना वशिष्ट की गिरफ़्तारी से बचने के लिए अग्रिम ज़मानत की अर्जी को खारिज कर दिया है. गहना राज कुंद्रा के अश्लील फिल्म केस में एक आरोपी हैं. उन्हें पुलिस ने पूछताछ के लिए कई बार बुलाया है और उनका बयान दर्ज किया है. गहना को इस बात का अंदेशा है कि उनकी भी इस केस में गिरफ़्तारी हो सकती है. 

सामाजिक हित को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता 
कुंद्रा और थोर्प को मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने 19 जुलाई को गिरफ्तार किया था और अभी वह न्यायिक हिरासत में है. मजिस्ट्रेट ने कहा कि कथित अपराध ‘‘समाज के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’’ है और ‘‘एक व्यापक सामाजिक आयाम वाले अपराध के अभियोजन में सामाजिक हित को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. आरोपियों ने बम्बई उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया है और यह कहते हुए अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है कि पुलिस ने गिरफ्तारी से पहले अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत जरूरी नोटिस जारी नहीं किया है. इस मामले में उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. 

यह कहना सही नहीं है कि आरोपी जमानत के लायक हैं 
हालांकि, मजिस्ट्रेट ने पाया कि मामले के जांच अधिकारी (आईओ) ने जरूरत के हिसाब से गिरफ्तारी की वजह दर्ज की थी. उन्होंने कहा कि यह अदालत 20 जुलाई (रिमांड के लिए सुनवाई के दौरान) को इस नतीजे पर पहुंची थी कि यह गिरफ्तारी कानून के मुताबिक हुई है. मजिस्ट्रेट ने कहा कि आईओ ने दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के कारण दर्ज किए थे. ऐसे हालात में यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी जमानत के लायक हैं. अदालत ने कहा कि आईओ के जवाब के मुताबिक, मामले का एक दूसरा आरोपी और कुंद्रा का रिश्तेदार, प्रदीप बख्शी फरार है और साथ ही, पुलिस ने बड़ी मात्रा में डेटा एकत्र किया जिसका विश्लेषण अब भी जारी है.

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