इस तरह करेंगे उपवास, तो बीमारियां भागेंगी कोसों दूर और घी-बादाम का हलवा खाने से भी ज्यादा निखर जाएगी सेहत
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इस तरह करेंगे उपवास, तो बीमारियां भागेंगी कोसों दूर और घी-बादाम का हलवा खाने से भी ज्यादा निखर जाएगी सेहत

उपवास जब सही गाइडलाइंस के साथ किया जाता है, तो वास्तव में हमारे शरीर को रिजूवनेट और हमारी इम्यूनिटी को बढ़ा सकता है, जिससे हमारे शरीर में जन्मजात मौजूद बिमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है.  यह लेख उपवास, प्रतिरक्षा और स्टेम सेल की मरम्मत, इन तीनों के बीच के गहरे रिश्ते को दिखाता है,पढ़िए.

इस तरह करेंगे उपवास, तो बीमारियां भागेंगी कोसों दूर और घी-बादाम का हलवा खाने से भी ज्यादा निखर जाएगी सेहत

उपवास और इम्यून रिएक्शन के बीच के रिश्ते को अगर समझ लिया जाए तो इससे होने वाले कई तरह के फायदे सामने आते हैं. उपवास बहुत पुरानी परंपरा है, जिससे न केवल शरीर को फिर से जीवंत किया जा सकता है, बल्कि एक एक्सपर्ट की राय में ये हमारी इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है. उपवास, सदियों से चली आ रही प्रथा है, जो आज के समय में फिर से वजन घटानेऔर  इम्यूनिटी सिस्टम को रिस्टोर करने को लेकर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. 
उपवास के मुद्दे पर ज़ी मीडिया से खास बातचीत में सलाहकार और डायबिटिज विशेषज्ञ डॉ अनु गायकवाड़, बताती हैं कि कैसे उपवास आपकी इम्यून सिस्टम को बहुत ही नैचुरल तरीके से रिस्टोर करने में मदद कर सकता है.

उपवास और ह्यूमन इम्यून सिस्टम के बीच की कड़ी
दरअसल, उपवास से मतलब एक खास समय तक के लिए खाने से दूरी बना लेने को और तय वक्त के लिए भूखे रहने से है.  इसके अपने अलग अलग रूप भी है . इसी कड़ी में आंतरायिक उपवास यानि intermittent fasting (आईएफ), जिसमें खाने के समय की एक खास रणनीति बनाई जाती है और एनर्जी की जरुरत के हिसाब से एक तय समय के लिए खाना, खाना होता है और फिर एक तय समय के लिए खाना छोड़ देना होता है. आईएफ के अलग अलग तरीके बताए जाते हैं, जिनमें उपवास और खाने के समय के बीच एक खास बैलेंस बनाना शामिल है. जैसे कि  एकांतर दिन का उपवास (36 घंटे का उपवास और 12 घंटे का भोजन) और समय-प्रतिबंधित उपवास (16 घंटे का उपवास और 8 घंटे का भोजन) शामिल हैं.  दरअसल, रिसर्च से पता चलता है कि इस तरह के उपवास पैटर्न ऑटोफैगी को उत्तेजित कर सकते हैं. ऑटोफैगी एक सेलुलर सफाई प्रक्रिया होती है जिसमें शरीर डैमेज्ड सेल्स को शरीर से खत्म करता है और हेल्दी सेल्स को फिर से जिंदा करता है.  

ऑटोफैगी का इम्यूनिटी से सीधा रिश्ता
दरअसल, ऑटोफैगी एक सेलुलर रीसाइक्लिंग सिस्टम की तरह काम करती है, जो खराब कम्पोनेंन्टस और सेलुलर डेबरिस को हटा देती है. पुराने को साफ़ करके, शरीर नए के लिए रास्ता बनाता है, जिससे संक्रमण और बीमारियों से बचाव मजबूत होता है.  यह प्रक्रिया इम्यून सिस्टम का अभिन्न अंग है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि इम्यून सेल्स मजबूत और प्रभावी बनी रहें. ताजा हुए अध्ययनों से पता चला है कि उपवास हेमटोपोइजिस, ब्लड सेल्स बनाने के प्रोसेस से नए इम्यून सेल्स के प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है. ये एक खास बात है क्योंकि इससे इम्यून सिस्टम फिर से नया हो जाता है. जिससे शरीर को वायरस और बैक्टिरिया  के खिलाफ लड़ने के लिए नए शस्त्रागार मिलते हैं. दरअसल इम्यून सेल पूल का नवीकरण शरीर को एक रीसेट बटन देने जैसा है, जिससे संक्रमण से बचने की क्षमता बढ़ जाती है.

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