AIMPLB On Ram Mandir Pran Pratishtha: मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर दीप जलाने के अपील पर भी मुसलमानों को खास नसीहत दी है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
Trending Photos
AIMPLB On Ram Mandir Pran Pratishtha: राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होना है. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के चीफ मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने प्राण प्रतिष्ठा में PM नरेंद्र मोदी की उपस्थिति पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, "यह इंसाफ और सेकुलरिज्म की हत्या है."
दीप न जलाने की दी नसीहत
इसके साथ ही उन्होंने दावा किया है, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि भगवान राम का जन्म उस जगह पर हुआ था. मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर दीप जलाने के अपील पर भी मुसलमानों को खास नसीहत दी है. उन्होंने कहा, "अगर हिन्दू भाई मंदिर निर्माण की खुशी में दीप जलाते हैं या नारा लगाते हैं तो हमें इस पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुस्लिमों के लिए इस तरह के कार्यक्रमों में हिस्सा लेना गैर-इस्लामी अमल है."
وزیر اعظم کے ذریعہ ایودھیا میں مندر کا افتتاح انصاف اور سیکولرزم کا قتل۔
مسلمانوں کے لئے 22 جنوری کو اس کی خوشی میں دیپ جلانا یا مشرکانہ نعرہ لگانا قطعا جائز نہیں۔ pic.twitter.com/jqfKAB9zKh
— Khalid Saifullah Rahmani (@hmksrahmani) January 13, 2024
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खड़ा किया सवाल
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के चीफ मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने एक बयान जारी किया है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल खड़ा किया है. जारी बयान में कहा गया है, "अयोध्या में जो हो रहा है. वह सरासर क्रूरता पर आधारित है. क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने माना है कि उसके नीचे कोई मंदिर नहीं था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई हो और इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि भगवान राम का जन्म उस विशेष जगह पर हुआ था. अदालत ने कानून से अलग बहुसंख्यक संप्रदाय के एक वर्ग की ऐसी आस्था के आधार पर यह फैसला दिया है, जिसका उल्लेख हिंदू भाइयों के पाक ग्रंथों में नहीं है. यह निश्चित रूप से मुल्क के लोकतंत्र पर एक बड़ा हमला है. इस फैसले ने मुसलमानों के दिलों को ठेस पहुंचाई है."
बयान में कही गई है ये बात
जारी बयान में आगे कहा है, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार एक मस्जिद की जगह पर राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, जहां सैकड़ों सालों से नमाज अदा की जाती रही है. उसमें सरकार और मंत्रियों की विशेष रुचि और पीएम नरेंद्र मोदी के जरिए इसका उद्घाटन न्याय और धर्मनिरपेक्षता का कत्ल है. राजनीतिक उद्देश्यों के लिए देशभर में इसका प्रचार अल्पसंख्यकों के घावों पर नमक छिड़कना है. इसलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार के इस गैर-धर्मनिरपेक्ष और अलोकतांत्रिक रवैये की कड़ी निंदा करता है."