UP News: यूपी में मुजफ्फरनगर के एक स्कूल की महिला शिक्षक ने कक्षा 2 के छात्रों से अपने मुस्लिम दोस्त को थप्पड़ मारने के लिए कहा था. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने टीचर की खूब निंदा की और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया. अब इस मामले में इलाहाबाद कोर्ट से आरोपी शिक्षिका को करारा झटका लगा है.
Trending Photos
Muzaffarnagar School Slap Case: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड की आरोपी महिला शिक्षक को कोर्ट से फिर से बड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट महिला शिक्षक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. इससे पहले अक्टूबर महीने में निचली अदालत ने शिक्षक की अग्रिम जमानत खारिज की थी. जस्टिस दीपक वर्मा की बेंच ने जमानत याचिका खारिज करते हुए आवेदक को आदेश की तारीख से दो सप्ताह के भीतर संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया है.
पीड़ित छात्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कामरान जैदी ने कहा, "निचली अदालत ने 16 अक्टूबर को अग्रिम जमानत याचिका पहले ही खारिज कर दी थी. अब, उच्च न्यायालय ने 23 नवंबर को शिक्षक की याचिका खारिज करते हुए उस फैसले को बरकरार रखा है."
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, पुलिस ने टीचर तृप्ति त्यागी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत चार्ज शीट दायर की, जिसमें धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) शामिल हैं. इसके अलावा, टीचर पर किशोर न्याय एक्ट की धारा 75 के तहत आरोप भी लगाए गए हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मुजफ्फरनगर के एक स्कूल की महिला शिक्षक ने कक्षा 2 के छात्रों से अपने मुस्लिम दोस्त को थप्पड़ मारने के लिए कहा था. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर अगस्त 2023 में वायरल हो गया. इसके बाद देशभर में शिक्षक के इस कृत्य को लेकर आक्रोश फैल गया था. टीचर त्यागी अपने कक्षा 2 के छात्रों को एक मुस्लिम लड़के को थप्पड़ मारने का निर्देश देते हुए और सांप्रदायिक टिप्पणी करते हुए दिखाई दे रही थीं. वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने टीचर की खूब निंदा की और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया.
जब SC ने राज्य सरकार को लगाई थी फटकार
इस घटना को लेकर मुजफ्फरनगर पुलिस ने शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जबकि स्कूल को राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा नोटिस भी भेजा गया था. वहीं, 10 नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित बच्चे की काउंसलिंग के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने के अपने आदेश का पालन नहीं करने पर राज्य सरकार को फटकार भी लगाई थी. इसके बाद 12 जनवरी को शीर्ष अदालत न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा था कि जिस तरह से घटना हुई, उसके बारे में राज्य को चिंतित होना चाहिए था.