Ayodhya Mosque Foundation Brick: अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद की ईंट मक्का से वापस आ गई है. इस ईंट पर सोने से आयतें लिखी गई हैं और इसे ज़म-ज़म के पानी से पाक किया गया है.ए
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Ayodhya Mosque News: राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुसलमानों को मुआवजे के तौर पर दी गई जमीन पर अयोध्या में नई मस्जिद की नींव के लिए रखी जाने वाली पहली ईंट मक्का और मदीना से मुंबई आ गई है. यह ईंट मुंबई के एक भट्टे पर पकाई गई है. पांच अकीदतमंदो के जरिए मक्का ले जाया गया था, और पिछले हफ्के ही इसे मुंबई लाया गया था.
यह मस्जिद काली मिट्टी से बनी है. जिस पर मस्जिद का नाम लिखा हुआ है और कुरान की आयतें गुदी हुई हैं. इस ईंट को 12 मार्च को ईद के बाद मस्जिद स्थल, अयोध्या के पास धन्नीपुर गांव में ले जाया जाएगा. यह ईंट मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला विकास समिति के अध्यक्ष और इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सदस्य हाजी अराफात शेख के घर से मुंबई जाएगी, जो मस्जिद के निर्माण की देखरेख करेंगे.
अयोध्या मस्जिद की नींव रखने की तैयारियों के बारे में बात करते हुए, शेख ने कहा कि उलेमा पैदल चलकर कुर्ला से पूर्वी तट पर मुंबई के आखिरी उपनगर मुलुंड तक ईंट ले जाएंगे. इसके बाद ईंट सड़क के रास्ते से लखनऊ और आखिर में धन्नीपुर पहुंचेगी. ईंट कैसे ले जाई जाएगी, इसके बारे में अभी विचार किया जा रहा है. शेख ने कहा कि ईंट को मक्का के पास ज़म ज़म के पानी और इत्र से धोया गया है.
इस मस्जिद का नाम इस्लाम के आखिरी पैगंबर 'मुहम्मद बिन अब्दुल्ला' पर कखा जाएगा. इस मस्जिद के इस्लाम के ज्यादातर फिरकों का समस्थन मिल रहा है. मस्जिद की तामीर की देखरेख करने वाली नई संस्था ने संरचना के पुराने डिजाइनों को हटा दिया है और इसे एक ऐसी शैली से बदल दिया है जो अधिक पारंपरिक है. इस मस्जिद में इस्लाम के पांच पिलर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली पांच मीनारें होंगी. कलमा (शपथ), नमाज (प्रार्थना), हज (मक्का की तीर्थयात्रा), जकात (दान), और रोज़ा (उपवास).
मस्जिद समिति ने कहा कि मस्जिद के लिए एक नई वेबसाइट का उद्घाटन 29 फरवरी को किया जाएगा. पोर्टल में क्यूआर कोड की सुविधा होगी जिसका इस्तेमाल तामीर के लिए दान करने के लिए किया जा सकता है.
बताया जा रहा है कि मस्जिद के साथ-साथ इस जमीन पर अस्पताल, कॉलेज, वृद्धाश्रम और शाकाहारी रसोई बनने वाली है. दानकर्ता उस परियोजना का चयन करने में सक्षम होंगे जिसके लिए वे दान करना चाहते हैं. दान के मैनेजमेंट में पूरी तरह से पारदर्शिता रखी जाएगी. बता दें, 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के निर्देशों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के जरिए पांच एकड़ की जमीन दी गई थी. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड के जरिए मस्जिद निर्माण में देरी को लेकर मुस्लिम संगठनों की आलोचना के बाद इस परियोजना को नई समिति को सौंप दिया गया है.