Amanatullah Khan: इस साल अप्रैल में ईडी ने एजेंसी के सामने पेश न होने का हवाला देते हुए अमानतुल्लाह खान के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था. इस बीच ईडी ने विधायक के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है.
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Amanatullah Khan: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग जांच में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया. 110 पन्नों के पूरक आरोपपत्र में मरियम सिद्दीकी का भी नाम है, जिन्हें ईडी ने मामले में आरोपी के तौर पर गिरफ्तार नहीं किया था. अदालत 4 नवंबर को इस पर विचार कर सकती है.
खान को ईडी ने 2 सितंबर को उनके ओखला स्थित आवास से गिरफ्तार किया था और फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं. ओखला के विधायक को संघीय एजेंसी द्वारा उनके घर पर छापेमारी करने और उनसे कुछ घंटों तक पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार किया गया था.
वक्फ मनी लॉन्ड्रिंग जांच
इस साल अप्रैल में ईडी ने एजेंसी के सामने पेश न होने का हवाला देते हुए अमानतुल्लाह खान के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था. एजेंसी ने जनवरी में उनके कथित सहयोगियों दाउद नासिर, जीशान हैदर, जावेद इमाम सिद्दीकी और कौसर इमाम सिद्दीकी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.
ईडी ने लगाए गंभीर इल्जाम
ईडी ने आरोप लगाया कि खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में कर्मचारियों की अवैध भर्ती के माध्यम से नकदी में अपराध की बड़ी रकम अर्जित की और अपने सहयोगियों के नाम पर अचल संपत्तियां खरीदने के लिए इसका निवेश किया. ईडी के मुताबिक, खान ने 2018 से 2022 के बीच बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को पट्टे पर देने से लाभ उठाया। 18 अक्टूबर को, ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अमानतुल्लाह खान पर उसकी जांच कई एफआईआर पर आधारित है.
एजेंसी ने अध्यक्ष के रूप में दिल्ली वक्फ बोर्ड में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन मामले के संबंध में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली खान की याचिका का विरोध किया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया कि अमानतुल्लाह खान एक एफआईआर के परिणाम का हवाला देकर अदालत को गुमराह कर रहे हैं जबकि अन्य एफआईआर से संबंधित चल रही जांच का उल्लेख नहीं कर रहे हैं.
ईडी ने क्या कहा?
ईडी ने कहा कि जांच के दौरान एकत्र साक्ष्य, जिसमें धारा 50 के तहत दर्ज बयान भी शामिल हैं. इससे पता चलता है कि खान ने अपने करीबी लोगों को नियुक्त किया, कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार किया और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान व्यक्तिगत लाभ के लिए कई अनियमितताएं कीं.