Gyanvapi Mosque: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं. हिंदू पक्ष का मानना है कि ज्ञानवापी पहले मंदिर था. जिसे तोड़कर मस्जिद बना दिया गया. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह पहले से ही मस्जिद थी. इसे लेकर दोनों पक्षों में टकराव की स्थिति है. इस बीच कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है.
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Gyanvapi Mosque: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी कोर्ट से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि मस्जिद के वजूखाने और गुंबद का एएसआई सर्वे नहीं कराया जाएगा. वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष के दलीलों को खारिज करते हुए याचिका खारिज कर दी है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल,ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं. हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी के मुख्य गुंबद के नीचे शिवलिंग है. इतना ही नहीं हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि मस्जिद में मौजूद वजूखाना में भी शिवलिंग है. जिसका सर्वे होना चाहिए. ताकि पता चल सके कि यह फव्वारा है या शिवलिंग. इसे लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसे वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दी है.
इसके साथ ही हिंदू पक्ष ने साल 1931 में कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद का मालिकाना हक हासिल करने की मांग की गई थी. यह मांग हरिहर पांडे, सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा ने की थी.
मुस्लिम पक्ष ने क्या दी दलील
हिंदू पक्ष के वकील ने मांग की कि मस्जिद परिसर में बची हुई जगह की खुदाई की जाए और एएसआई सर्वे कराया जाए, जिसका मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया था. इस मांग का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि जब एएसआई पहले ही यहां सर्वे कर चुका है तो दूसरी बार सर्वे कराने का कोई औचित्य नहीं है. मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि मस्जिद परिसर में खुदाई से मस्जिद को भारी नुकसान हो सकता है.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में दोनों पक्ष के दावे
यह बात तो साफ है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं. हिंदू पक्ष का मानना है कि ज्ञानवापी पहले मंदिर था. जिसे तोड़कर मस्जिद बना दिया गया. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह पहले से ही मस्जिद थी. इसे लेकर दोनों पक्षों में टकराव की स्थिति है.