सुनहरी बाग मस्जिद को हटाए जाने के ताल्लुक से लोकसभा सांसद ने अपनी आपत्ति जताई है. इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मस्जिद हटाए जाने के ताल्लुक से पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को खत लिखा है.
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अमरोहा से लोकसभा सदस्य दानिश अली ने राष्ट्रीय राजधानी में सुनहरी बाग मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मस्जिद का ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व है. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) ने मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर आम लोगों से राय मांगी है. NDMC ने रविवार को एक नोटिस जारी कर एक जनवरी तक इस मामले में लोगों से आपत्तियां एवं सुझाव आमंत्रित किए हैं.
ऐतिहासिक है मस्जिद
मध्य दिल्ली में एक चौराहे पर मौजूद मस्जिद को आसपास यातायात बाधित होने के आधार पर हटाने का प्रस्ताव दिया गया है. अली ने विरासत संरक्षण समिति को लिखे एक पत्र में कहा कि मस्जिद के "ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व" को देखते हुए ऐसा "सख्त कदम अनुचित" है. उन्होंने कहा कि मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर सवाल उठ सकता है और इससे जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है.
वक्फ बोर्ड ने खटखटाया दरवाजा
अली ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड ने पहले एक संयुक्त सर्वे के दौरान मस्जिद के संभावित विध्वंस को लेकर चिंता जताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उनके मुताबिक अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि विध्वंस की आशंका का कोई आधार नहीं है और दिल्ली वक्फ बोर्ड से संबंधित अदालती कार्यवाही 18 दिसंबर को बंद कर दी गई थी. उन्होंने कहा, "हाई कोर्ट में अवकाश होने के तुरंत बाद नोटिस जारी करने से प्रक्रिया की निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है."
जमीयत ने पीएम को लिखा खत
इससे एक दिन पहले NDMC को सुनहरी मस्जिद को गिराए जाने के ताल्लुक से 2,000 से ज्यादा कमेंट और सुझाव मिले थे. एनडीएमसी के सूत्रों ने कहा, ‘‘हमें ई-मेल पर 2,000 से अधिक सुझाव मिले हैं। ये सुझाव मुस्लिम संगठनों और अल्पसंख्यक कल्याण निकायों से प्राप्त हुए हैं.’’
सुनहरी मस्जिद को हटाए जाने के ताल्लुक से लोगों से सुझाव मांगने पर जमीयत उलमा-ए-हिंद ने आपत्ति जताई थी. जमीयत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में खत लिखा था. खत में कहा गया था कि "NDCM की तरफ से मस्जिद सुनहरी बाग को हटाने के ताल्लुक से जनता की राय मांगने वाली अधिसूचना पर आपत्ति जताते हैं." उन्होंने कहा था कि यह मस्जिद पिछले 100 सालों से यहां मौजूद है. यह देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासद की गवाह है.