OBC Reservation: कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2010 से 2024 तक जारी हुए OBC सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार से पूछा है कि उन्होंने किस आधार पर मुस्लिम जातियों को रिजर्वेशन दिया.
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OBC Reservation: पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों को आरक्षण देने का मामला तूल पकड़ रहा है. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. पश्चिम बंगाल में सरकार की तरफ से 77 मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछा है कि आपने किस बुनियाद पर 77 मुस्लिम जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का दर्जा दिया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी से एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने रद्द किया सर्टिफिकेट
इससे पहले पश्चिम बंगाल की सरकार की तरफ से 77 जातियों को रिजर्वेशन दिए जाने के मामले को कलकत्ता हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था. इसके बाद ममता बनर्जी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या सरकार ने जातियों को ओबीसी कटेगरी में शामिल करने से पहले पिछड़ा आयोगी से सलाह ली? दूसरा सवाल क्या OBC सब-क्लासिफिकेशन करने से पहले सरकार ने किसी से भी बातचीत की? पश्चिम बंगाल सरकार इस मामले में जल्द ही हलफनाना दाखिल करेगी.
क्या है पूरा मामला?
पश्चिम बंगाल सरकार ने सितंबर 2010 में OBC लिस्ट में 42 जातियों को शामिल किया. इसमें 41 मुस्लिम थीं. OBC लिस्ट में पहले से 66 जातियां थी. अब इस लिस्ट में 108 जातियां हो गईं. 2011 में हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की गई कि जिन 42 जातियों को OBC में शामिल किया गया है, उनका बेस धर्म है. साल 2012 में ममता सरकरा ने 35 और जातियों को OBC लिस्ट में शामिल किया. इनमें से 34 मुस्लिम थीं. इस पर विवाद हुआ. अब OBC रिजर्वेशन में 77 जातियां हो गईं.
ममता सरकार ने किया SC का रुख
अब कलकत्ता हाई कोर्ट ने साल 2010 से 2024 तक जारी हुए सभी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है. इसके बाद 2010 से 2024 तक जारी हुए सभी OBC सर्टिफिकेट रद्द हो गए. हालांकि जिन लोगों ने इस सर्टिफिकेट का फायदा लिया, उन्हें फायदे से वंचित नहीं किया जाएगा. हाईकोर्ट की तरफ से OBC सर्टिफिकेट रद्द करने के फैसले के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.