पड़ोसी और मुस्लिम देश होकर भी मिस्र क्यों नहीं दे रहा गाजा में मर रहे फिलिस्तीनियों को पनाह?
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पड़ोसी और मुस्लिम देश होकर भी मिस्र क्यों नहीं दे रहा गाजा में मर रहे फिलिस्तीनियों को पनाह?

Israel Gaza News: मूल रूप से महफूज इलाका माने जाने वाले रफह को अब इजराइली हवाई हमलों द्वारा भी निशाना बनाया जा रहा है. हिंसा से भाग रहे लोगों के पास जाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है. हालांकि, इजराइल के अलावा मिस्र वाहिद ऐसा देश है, जिसकी सरहद गाजा से लगती है. हालांकि, मिस्र ने इजराइल द्वारा विस्थापित फिलिस्तीनी शरणार्थियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.

पड़ोसी और मुस्लिम देश होकर भी मिस्र क्यों नहीं दे रहा गाजा में मर रहे फिलिस्तीनियों को पनाह?

Israel Gaza War: इजराइल की तरफ से बार-बार बमबारी और जमीनी हमलों के कारण तकरीबन 15 लाख फिलिस्तीनी शहरी मौजूदा वक्त में साउथ गाजा के शहर रफह में फंसे हुए हैं. इस शहर की मूल आबादी 2,50,000 थी लेकिन यहां अब गाजा की पूरी आबादी के आधे से अधिक लोग हैं. ये ऐसे हालात में पनाह लिये हुए हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष सहायता अधिकारी ने "गंभीर" कहा है, जहां बीमारी फैल रही है और अकाल का खतरा मंडरा रहा है. इंटरनेशनल कोर्ट ने कत्ले आम के एक संभावित मामले पर फैसला सुनाया है. इजराइल के हमले में अब तक गाजा पट्टी में 29,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं. वहीं, अब इस बात का खतरा बढ़ गई है कि, रफह पर इजराइल के संभावित जमीनी हमले से शहरी सीमा पार करके मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप में दाखिल हो सकते हैं.

मूल रूप से महफूज इलाका माने जाने वाले रफह को अब इजराइली हवाई हमलों द्वारा भी निशाना बनाया जा रहा है. हिंसा से भाग रहे लोगों के पास जाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है. हालांकि, इजराइल के अलावा मिस्र वाहिद ऐसा देश है, जिसकी सरहद गाजा से लगती है. हालांकि, मिस्र ने इजराइल द्वारा विस्थापित फिलिस्तीनी शरणार्थियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. खबरों से ऐसे इशारे मिलते हैं कि, इजराइली अधिकारियों ने मिस्र को गाजा से शरणार्थियों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने के लिए आलमी हिमायत जुटाने की कोशिश की है. हालांकि, मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल-सीसी मानवीय गलियारों या सिनाई में बड़ी तादाद में फिलिस्तीनियों के दाखिले की इजाजत देने से इनकार करते रहे हैं.

 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने मिस्र के रुख को न्यायोचित ठहराया है. ग्रांडी ने कहा कि गाजा के लोगों को मिस्र में बसाना मिस्र और फिलिस्तीनी दोनों के लिए "विनाशकारी" होगा. उन्होंने इशारा दिया कि संभवतः उन्हें वापस लौटने की इजाजत नहीं दी जाए. मिस्र इसकी मुखालेफत क्यों कर रहा है? मिस्र के विरोध की कुछ वजहें हैं. पहला यह कि मिस्र गाजा के बाहर फिलिस्तीनियों के स्थायी पुनर्वास के माध्यम से जातीय सफाये की सुविधा प्रदान करता हुआ नहीं दिखना चाहता. अक्टूबर में, इजराइल के खुफिया मंत्रालय के एक लीक हुए दस्तावेज में गाजा की 23 लाख आबादी को इलाके से बाहर और मिस्र के सिनाई रेगिस्तान में तम्बू शहर में जबरन स्थानांतरित करने की सिफारिशें शामिल थीं. नेतन्याहू ने पिछले महीने कहा था कि इजराइल का "गाजा पर स्थायी रूप से कब्ज़ा करने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने इस बारे में अपने वजीरों को बयान देने से नहीं रोका है. उनसे जब जनवरी में सम्मेलन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी बात रखने का हक है.

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