Delhi News: सेंट्रल मिनिस्टर द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा में 91, ब्रिटेन में 48, रूस में 40, अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की मौत हुई है.
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Delhi News: साल 2018 से लेकर अब तक विदेशों में पढ़ने वाले 403 छात्रों की मौत हो चुकी है, जिसमें सबसे ज्यादा कनाडा में 91 और इसके बाद ब्रिटेन में 48 छात्रों की मौत हुई है. ये मौतें प्राकृतिक कारणों समेत हादसों और चिकित्सकीय स्थितियों की वजह से हुई है.
फॉरेन मिनिस्टर एस जयशंकर ( S Jaishankar ) ने कहा कि विदेश में इंडियन स्टूडेंट्स का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है. उन्होंने कहा, "मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, "2018 से प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और चिकित्सा स्थितियों सहित विभिन्न कारणों से विदेश में भारतीय छात्रों की मौत की 403 घटनाएं सामने आई हैं."
सेंट्रल मिनिस्टर द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा में 91, ब्रिटेन में 48, रूस में 40, अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की मौत हुई है. जबकि साइप्रस में 14, फिलीपींस और इटली में 10-10 और कतर, चीन और किर्गिस्तान में नौ-नौ भारतीय छात्रों की अलग-अलग कारणों से जान गई है.
वहीं, एक सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ( V. Muraleedharan ) ने कहा कि फिलिस्तीन के प्रति भारत की नीति लंबे वक्त से सुसंगत रही है. उन्होंने कहा, "हमने सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के अंदर इसराइल के साथ शांति से रहते हुए एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना के लिए बातचीत के जरिए दो राज्य समाधान का सपोर्ट किया है."
सिंह ने आगे कहा, "नेबरहुड फर्स्ट नीति के परिणामस्वरूप, अन्य बातों के अलावा, पूरे क्षेत्र में भौतिक, डिजिटल और लोगों से लोगों की कनेक्टिविटी में वृद्धि हुई है, साथ ही व्यापार और वाणिज्य में भी वृद्धि हुई है. सरकार भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर असर डालने वाले सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखती है और इसकी सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है."