पहाड़ चढ़ने की तैयारी में 'आप': उत्तराखंड की सभी सीटों पर लड़ेंगे चुनाव: केजरीवाल
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पहाड़ चढ़ने की तैयारी में 'आप': उत्तराखंड की सभी सीटों पर लड़ेंगे चुनाव: केजरीवाल

केजरीवाल का दावा है कि हमने उत्तराखंड में सर्वे कराया है, उसमें 62 फीसद लोगों ने कहा कि हमें उत्तराखंड में इंतेखाबात लड़ना चाहिए, तब हमने तय किया कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में इंतेखाबात लड़ेगी. 

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: दिल्ली के इक्तेदार पर काबिज़ आम आदमी पार्टी लम्बे वक्त से कोशिशों में रही है कि वो अलग-अलग सूबों में पार्टी को मज़बूत करे. हालांकि पंजाब में पार्टी ने अच्छा कारकगरदी की है जिसकी बदौलत पंजाब में पार्टी अपोजिशन का किरदार अदा कर रही है. लेकिन यूपी-उत्तराखंड जैसे सूबों में आम आदमी पार्टी अभी तक कुछ बड़ा नहीं कर पाई है. यही वजह है कि अब आम आदमी पार्टी इन सूबों में अपना साख मज़बूद करने में लगी हुई है. उत्तराखंड साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर नया सूबा बना. पिछले बीस सालों में कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस यहां इक्तेदार पर काबिज़ रही. पिछले कुछ दिनों से यहां आम आदमी पार्टी ने अपनी एक्टिविटी को बढ़ाया है और अब दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने ऐलान किया है, कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में 2022 के असेंबली इंतखाबात में हिस्सा लेंगी.

अरविंद केरजीवाल ने कहा कि "दोनों पार्टियों (कांग्रेस और बीजेपी) से लोगों की उम्मीद खत्म हो चुकी हैं, AAP से लोगों की उम्मीद है और इंतेखाबात उम्मीद पर लड़ा जाता है. उत्तराखंड में फरवरी 2022 में जो असेंबली इंतखाबात होंगे उसमें सभी सीटों पर आम ​आदमी पार्टी इंतेखाबात लड़ेगी. केजरीवाल का दावा है कि हमने उत्तराखंड में सर्वे कराया है, उसमें 62 फीसद लोगों ने कहा कि हमें उत्तराखंड में इंतेखाबात लड़ना चाहिए, तब हमने तय किया कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में इंतेखाबात लड़ेगी. उत्तराखंड में रोज़गार, तालीम और सेहत खास मुद्दे हैं.

आम आदमी पार्टी की राह कितनी आसान?
उत्तराखंड में राजधानी से लेकर पहाड़ से होने वाली हिजरत, तालीम और सेहत जैसे कई ऐसे खास मुद्दे, जिनके इर्द गिर्द सूबे की सिसायत घूमती रहती है. कांग्रेस और बीजेपी कतई नहीं चाहेगी कि कोई तीसरी पार्टी सूबे की सियासत में उनको चैलेंज करें. आम आदमी पार्टी कितनी मुस्तैदी के साथ आने वाले दो सालों में खुद को इस पहाड़ी सूबे में जमा पाती है और लोगों के बीच कितनी मौजूदगी दर्ज करा पाती है, इसी पर पार्टी का सियासी मुस्तकबिल तय होगा.

क्या रही है उत्तराखंड की सियासी तारीख़?
उत्तराखंड़ पहाड़ी सूबा है और पहाड़ के लोगों की कुर्बानियों की बदौलत ये सूबा बना. पिछले बीस सालों में उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा कोई सियासी पार्टी उभर नहीं पाई. उत्तराखंड बनने के बाद शुरूआती सालों में इलाकाई सियासी जमात उत्तराखंड क्रान्ति दल (यूकेडी) ने अपनी सियासत को परवान चढ़ाने की कोशिश की. यूकेडी के कई विधायक भी जीते लेकिन पार्टी में फूट और कयादत के लालच ने यूकेडी को सियासी तौर पर पीछे धकेल दिया. अब सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस ही दोनों ऐसे पार्टियां हैं जो सियासी तौर पर उत्तराखंड में नज़र आते हैं.

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