SP Leader Ahmad Hasan Passed Away: अहमद हसन की पैदाइश 2 जनवरी 1934 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में हुई थी. उनके पिता मौलाना मोहम्मद यूसुफ जलालपुरी एक बहुत सम्मानित धार्मिक विद्वान और कारोबारी थे.
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SP Leader Ahmad Hasan Passed Away: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन 88 साल की उम्र में इंतेकाल कर गए. वह कई दिनों से बीमार थे और लखनऊ के लोहिया अस्पताल इलाज चल रह था.
कौन थे अहमद हसन
जनाब अहमद हसन समाजवादी पार्टी के एक सीनियर और मशहूर नेता थे. अहमद हसन पांच पार एमएलसी रह चुके हैं.सपा की सरकार में वह स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री का भी पद संभाल चुके हैं.
अहमद हसन की शुरुआती ज़िंदगी
अहमद हसन की पैदाइश 2 जनवरी 1934 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में हुई थी. उनके पिता मौलाना मोहम्मद यूसुफ जलालपुरी एक बहुत सम्मानित धार्मिक विद्वान और कारोबारी थे. अहमद हसन इंटरमीडिएट प्रथम श्रेणी में पास करने के बाद में कानून की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए और बीए एलएलबी की परीक्षा में पहला मकाम हासिल किया.
1960 में शुरू की अपनी सर्विस
बीए एलएलबी के एग्जाम में नुमायां कमयाबी हासिल करने के बाद अहमद हसन ने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने UPSC परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया और 1958 में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हो गए. उनका पहला आधिकारिक प्रभार 1960 में लखनऊ के पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के रूप में था.
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1967 में खूंखार डकैट का सफाया किया
एक पुलिस अधिकारी के रूप में, वह अपनी निडरता और साहसिक नेतृत्व के प्रदर्शन के लिए जाने जाते थे. उन्होंने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की और कई अपराधियों की कुख्यात गतिविधियों को निहायत कामयाबी के साथ खत्म कर दिया. उदाहरण के लिए 1967 में एटा के डीएसपी के रूप में उन्होंने खूंखार डकैत चबूराम का सफाया किया और उसके सभी साथियों को गिरफ्तार कर लिया. असाधारण वीरता के इस कार्य के लिए अहमद हसन को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया. उन्हें 1979 में विधानसभा और संसद चुनावों के दौरान एटा में पूर्ण कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेधावी पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया था.
पुलिस और पब्लिक के बीच राब्ता रखने के थे तरफदार
अहमद हसन का मानना था कि समाज से अफराद उसी वक्त खत्म हो सकता है, जब पुलिस और लोगों के बीच राब्ता रहे. वह जब तक सर्विस में रहे, वह समाज में अमन व शांति के लिए कोशिश करते रहे. वह सभी से प्यार और सम्मान करते थे, जो इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि उन्होंने पांच साल से अधिक समय तक बरेली में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया. जिले में उन्होंने जो शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की थी, उसके अलावा उन्होंने अपने और लोगों के बीच मजबूत बंधन के कारण यह काफी लंबा कार्यकाल था.
1992 में हुए रिटायर्ड
उन्हें 1989 में डीआईजी रैंक में पदोन्नत किया गया था और पुलिस बल में 30 से ज्यादा सालों तक शानदार सेवा देने के बाद 1992 में रिटायर्ड हुए.
रिटायर्ड होने के बाद मुलायम सिंह के साथ शुरू की सियासी जिंदगी
अहमद हसन ने रिटायर्ड होने के बाद अवाम की खिदमत करने के लिए सियासत में हिस्सा लिया. वह मुलायम सिंह यादव की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित थे, जो समानता और इंसाफ के नज़रिए पर काम करने वाले समाजवादी समाज का निर्माण करना चाहते थे. 1994 में अहमद हसन समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए काम करना जारी रखने के लिए समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. अपनी राजनीतिक क्षमता में उनको कई बार पदो से नवाजा गया.
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वह अपनी ज़िंदगी में इस ओहदों पर फायज़ रहे
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