सपा नेता आजम खान उनके बेटे और बीवी को 7-7 साल की जेल हुई है. इस पर अखिलेश यादव ने कहा है कि आजम खान के परिवार को परेशान करने का कुचक्र चल रहा है.
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समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी के सीनियर नेता आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों को अलग-अलग जेलों में भेजे जाने के सरकारी फैसले पर ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा है कि आजम खान के परिवार को जिस तरह से प्रताड़ित किए जाने का कुचक्र चल रहा है वो बेहद निंदनीय है.
आजम के सपोर्ट में अखिलेश
सपा प्रमुख ने रविवार की शाम सोशल नेटवर्किंग साइट ‘X’ पर पोस्ट किया, ‘‘माननीय आजम खान जी के परिवार को जिस तरह से प्रताड़ित किए जाने का कुचक्र चल रहा है वो बेहद निंदनीय है. परिवार के सदस्यों को अलग-अलग (जेलों में) करना सत्ताधारियों की सियासत का पुराना चलन है और उम्र के तक़ाज़े से किसी भी हाल में जायज नहीं. इंसाफ के लिए उनके संघर्ष में हम सब साथ खड़े रहे हैं और रहेंगे.’’
फर्जी प्रमाण पत्र का है मामला
सपा के राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को रविवार को तड़के रामपुर जिला कारागार से सीतापुर और हरदोई की जेल भेज दिया गया. फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के मामले में 18 अक्टूबर 2023 को आजम खान, उनकी पत्नी पूर्व सांसद डॉ. तजीन फातिमा और छोटे बेटे अब्दुल आजम खान को एक अदालत ने सात-सात साल कारावास की सज़ा सुनाई थी. इसके साथ-साथ 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था.
दो अलग-अलग जेलों में भेजा गया
इसके बाद तीनों को रामपुर जिला कारागार भेज दिया गया था. आजम और अब्दुल्ला की जेलें बदली गईं हैं, हालांकि तजीन फातिमा रामपुर जिला जेल में ही रहेंगी. रामपुर जेल से निकलते समय आजम खान ने पत्रकारों से आशंका जताते हुए कहा, ‘‘हमारा एनकाउंटर भी किया जा सकता है.’’ इससे पहले समाजवादी नेता ने एक दूसरेआपराधिक मामले में दो साल से अधिक समय तक सीतापुर जेल में बिताया था और उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद मई 2022 में रिहा हुए थे.
आजम के बारे में
गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले 75 साल के आजम खान रामपुर से 10 बार विधायक, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य तथा उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं. अदालत से भड़काऊ भाषण के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई थी. वह 2022 में रामपुर से सपा से विधानसभा सदस्य चुने गए थे. इसके पहले 2019 के चुनाव में वह रामपुर संसदीय इलाके से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. विधानसभा सदस्य चुने जाने के बाद उन्होंने संसद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था.