ज्ञानवापी मामले में भागवत के बयान पर भड़के ओवैसी; कह दी ये बड़ी बात
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ज्ञानवापी मामले में भागवत के बयान पर भड़के ओवैसी; कह दी ये बड़ी बात

Asaduddin Owaisi on Mohan Bhagwat: ज्ञानवापी मामले पर हालही में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने बयान दिया था. जिसके लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामेने आया है. उन्हेंने कहा है कि RSS ने कोर्ट का अनादर करके बाबरी मस्जिद का विध्वंस किया था.

ज्ञानवापी मामले में भागवत के बयान पर भड़के ओवैसी; कह दी ये बड़ी बात

नई दिल्ली: एएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी अपने बयानो को लेकर खबरों में बने रहते हैं. हालही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ज्ञानवापी को लेकर बयान दिया था. जिस पर अब ओवैसी की प्रक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि आरएसएस सुप्रीम कोर्ट का अनादर करते हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल हुआ और बाद में कार्रवाई से बचने के लिए उसने कहा कि यह ऐतिहासिक वजहों से ज़रूरी था.

क्या बोले असदु्द्दीन ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि क्या संघ ज्ञानवापी मामले में भी यही तरीका अपनाएगा? आपको बता दें ब्रहस्पतिवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि ज्ञानवापी विवाद में आस्था से जुड़े मुद्दे शामिल हैं और इस पर अदालत के फैसले को सभी को मानना चाहिए. इस पूरे भाषण को लेकर ओवैसी ने एक ट्वीट करते हुए लिखा ''ज्ञानवापी को लेकर भागवत के भड़काऊ भाषण को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि बाबरी के लिए आंदोलन ''ऐतिहासिक कारणों से'' आवश्यक था. दूसरे शब्दों में, आरएसएस ने उच्चतम न्यायालय का सम्मान नहीं किया और मस्जिद के विध्वंस में भाग लिया. क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे?'' 

धर्मातरण पर कही ये बातें

ओवैसी ने धर्मातरण पर भी बाते कहीं उन्होंने कहा कि जबरन धर्मांतरण एक झूठ है और भागवत जैसे लोग यह स्वीकार नहीं कर सकते कि नए भारत नें पैदा हुए लोग भारतीय नागरिक हैं. ओवैसी ने कहा कि भले ही आज के मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे लेकिन संविधान के आधार पर आज वह एख भारत के नाहरिक हैं. ओवैसी ने कहा कि अगर कोई कहने लगे कि भागवत के पूर्वजों का बौध धर्म  से जबरन परिवर्तन कराया गया, तो क्या होगा?

ओवैसी ने ट्वीट किया, ''अदालतों को चाहिये कि वे इसे जड़ से खत्म कर दें. अगर इन चीजों को बढ़ने दिया जाता है, तो हम भीड़ को उत्साहित करने के लिए सबकुछ करेंगे, मोहन कहते हैं कि इस्लाम आक्रमणकारियों के साथ आया था. वास्तव में, यह मुस्लिम व्यापारियों, विद्वानों और संतों के माध्यम से आया था, मुस्लिम आक्रमणकारियों के भारत आने से भी बहुत पहले.''

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