स्कूलों के बजाए मदरसों में बच्चों को क्यों भेजते हैं अभिभावक; असम के लोगों ने बताई वजह
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स्कूलों के बजाए मदरसों में बच्चों को क्यों भेजते हैं अभिभावक; असम के लोगों ने बताई वजह

Why students choose madrsa instead of school in Assam: हाल ही में असम के दो मदरसों को इस वजह से ढहा (Madarsa Demolishes) दिया गया था कि वहां संदिग्ध गतिविधियों का पता चला था और वहां से दो शिक्षकों को बांगलादेशी होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. अभिभावक बता रहे हैं कि आखिर वह बच्चों को मदरसा क्यों भेजते हैं पढ़ने को ? 

अलामती तस्वीर

दारोगर अलगाः यह सवाल बार-बार उठाया जाता है कि आखिर मुसलमान अपने बच्चों को स्कूलों (Schools) के बजाए मदरसों में  (Madaersa) क्यों पढ़ने को भेजते हैं, जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मुसलमानों के सिर्फ 4 प्रतिशत बच्चे ही मदरसे में पढ़ने जाते हैं. अभी हाल में असम के मदरसों को गिराए जाने और वहां से कथित तौर पर आतंकवाद के आरोप में पकड़े गए कुछ संदिग्ध को लेकर यह सवाल एक बौर फिर चर्चा का मौजूं बन गया है. आईये जानते हैं इस विषय पर असम के मुसलमान (Muslims) क्या सोचते हैं, और क्या है उनकी परेशानी ?

स्कूलों में नहीं मिलती है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा 
असम के दारोगर अलगा ‘चार’ के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने औपचारिक स्कूली शिक्षा के बजाय धार्मिक मदरसों में अपने बच्चों को भेजना इसलिए चुना, क्योंकि वहां एकल-शिक्षक वाले प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सवालों के घेरे में थी. दारोगर अलगा चार इलाका हाल ही में एक मदरसे को तोड़े जाने को लेकर खबरों में रहा है. लोगों का कहना है कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी और शिक्षकों द्वारा कई तरह के अन्य सरकारी कार्यों को अंजताम देने का मतलब है कि बच्चों को पढ़ाने में शिक्षक कम समय देते हैं. स्कूलों में शिक्षकों की संख्या भी कम होती है.  

एक शिक्षक के भरोसे चलते हैं प्राथमिक स्कूल 
गांव में रहने वाले 62 वर्षीय उजीर जमाल कहते हैं, ’’सरकारी स्कूलों के खराब बुनियादी ढांचे की वजह से अभिभावक अपने बच्चों को इन सामान्य स्कूलों से मदरसे में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर हुए हैं.’’ जमाल ने सवाल किया, ‘‘चार में सभी पांच निचले प्राथमिक विद्यालयों में क्लास 1 से 5 तक के छात्र हैं, लेकिन उन सभी स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है. एक शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल और वहां के पांच कक्षाओं के छात्र होते हैं. क्या एक ही शिक्षक द्वारा एक ही वक्त में पांच कक्षाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना संभव है?’’

कक्षा 1 से 5 तक को भाग-भागकर पढ़ता है एक शिक्षक 
दारोगर अलगा मजार चार लोअर प्राइमरी स्कूल के एकमात्र शिक्षक हबीबुर रहमान ने कहते हैं, ‘‘एक साथ पांच कक्षाओं को पढ़ाना बहुत मुश्किल होता है. जिस क्लास में मैं पढ़ाता नहीं हूं, उनके बच्चे बहुत शोर करते हैं. मैं उन्हें कसूरवार नहीं कह सकता, क्योंकि वे तो बच्चे हैं, तो शोर करेंगे ही.’’ उन्होंने कहा, ’’स्कूल में 1 से 5 तक अलग-अलग क्लासों में 27 छात्र पढ़ते हैं. यही तजुर्बा दारोगर अलगा मजार चार लोअर प्राइमरी स्कूल नंबर 2 के संविदा शिक्षक सोबुरुद्दीन का है, जिसमें कोई स्थाई शिक्षक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे स्कूल में 75 छात्र हैं और मैं वहां का अकेला शिक्षक हूं. पांच कक्षाएं दो घरों में चतली हैं. इसलिए, मैं एक जगह से दूसरी जगह दौड़ता रहता हूं. यह बेहद तनावपूर्ण होता है.” 

स्कूल छोड़कर मदरसा का रुख करते हैं छात्र 
कक्षा 1 और 3 के दो छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया था और मदरसे में दाखिला ले लिया था. सोबुरुद्दीन के स्कूल से कक्षा 3 और 4 के दो विद्यार्थियों ने विद्यालय आना बंद कर मदरसे में धर्म संबंधी शिक्षा लेना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों ने कहा कि शिक्षकों की कमी की वजह से कई बार स्कूल के वक्त अफरा-तफरी मच जाती है. हालांकि, असम सरकार ने छात्रों के लिए स्कूल, डेस्क, बेंच, टेबल, कुर्सियां, मुफ्त किताबें और वर्दी जैसी जरूरी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, लेकिन यह अभी नाकाफी है. 

सरकारी तौर पर एक ही शिक्षक का पद है स्वीकृत 
गौरतलब है कि मदरसा के दो शिक्षकों के कथित ‘जिहादी’ संबंधों को लेकर स्थानीय निवासियों ने छह सितंबर को दारोगर अलगा मदरसा और उसके परिसर में एक मकान को तोड़ दिया गया था. स्कूल मैदान में पीपल के एक पेड़ के नीचे बैठे शिक्षक रहमान ने कहा कि मुस्लिम इलाके के स्कूल में पहले दो स्वीकृत पद थे, लेकिन 2006 में एक को खत्म कर दिया गया. उन्होंने कहा, ‘‘2006 से पहले कभी भी एक वक्त में दो स्थाई शिक्षक स्कूल में कभी नहीं रहे. कभी-कभार एक संविदा शिक्षक नियुक्त कर दिया जाता है. हालांकि, जब उस शिक्षक को स्थाई नियुक्ति मिल जाती है तो वह स्कूल छोड़ देता है.’’  

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