Maulana will not offer funeral prayer on the death of drug addicts: सामाजिक बुराईयों को रोकने के लिए मौलवी और उलेमा अब सामने आ रहे हैं. असम के नौगांव जिले में मस्जिद कमिटी के लोगों ने नौजवानों से मादक पदार्थोंं का सेवन न करने और इसके अवैध कारोबार से दूर रहने की अपील करते हुए ऐसा करने वालों के जनाजे की नमाज का बहिष्कार करने की धमकी दी है.
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गुवाहाटी / शरीफ उद्दीन अहमद: मौलवी, हाफिज, आलिम और मुफतियों की जिम्मेदारी न सर्फ लोगों को दीन और ईमान का सही रास्ता दिखाना रहा है बल्कि सामाजिक परिर्वतन लाना और लोगों को बुराईयों से रोकना भी उनका काम रहा है, जिसे मजहबी नेताओं ने लंबे अरसो से छोड़ रखा था. लेकिन हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश से खबरे आई थी कि शादियों में फिजूलखर्ची करने और दहेज का लेनदेन करने वाली लोगों की शादियों का मौलवियों ने बहिष्कार करने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि वह उनका निकाह नहीं पढ़ाएंगे और न उनके घर दावत खाने जाएंगे. ऐसी ही एक पहल अब असम के नौगांव जिले के धार्मिक नेताओं ने शुरू की है. उन्होंने लोगों को मादक पदार्थों से दूर रहने की सलाह देने के साथ ही ऐसे लोगों को मरने के बाद उनके जनाजे की नमाज में शामिल न होने की धमकी दी है.
तेजी से नशे के आदी हो रहे हैं नौजवान
मध्य असम के नागांव जिले में मस्जिद समिति ने उन लोगों के जानाजे की नामाज और कफन-दफन में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है, जिनकी मौत नशीली पदार्थों के सेवन से हुई हो या वह किसी तरह के नशीले पदार्थों के काराबोर में शामिल रहा हो. कब्रिस्तान कमेटी ने कहा है कि उसने क्षेत्र में मादक पदार्थों के खतरे से लड़ने के लिए यह फैसला किया है. जुरिया कॉलोनी जलाह आंचलिक कब्रिस्तान कमेटी के हाफिज मौलाना तसफिक़ अहमद ने बताया कि उनके मोहल्ले के कई युवा नशे के अवैध कारोबार में शामिल हैं और उनकी वजह से कई बच्चे नशे के आदी हो चुके हैं. कई मौकों पर हमने अपने मोहल्ले में नशे के अवैध कारोबार में शामिल या नशे के आदी लोगों, युवाओं से नशा छोड़ने की अपील की, लेकिन उन्होंने हमारी अपील नहीं सुनी.
जमानत में छूट जाते हैं नशेड़ी और नशे के कारोबारी
हाल के दिनों में पुलिस ने कई लोगों को नशे का अवैध कारोबार करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया, लेकिन कुछ महीने बाद वे जमानत पर बाहर आ जाते हैं. अब हमने फैसला किया है कि हम ऐसे लोगों के लिए जनाजा नहीं करेंगे जो नशे के आदी हैं या अवैध ड्रग्स के कारोबार में शामिल हैं. मौलाना ने बताया कि हम अपने समाज को संदेश देना चाहते हैं कि आप नशा छोड़ दें और अच्छा काम करें. समाज के अच्छे नागरिक बनें. हम चाहते हैं कि हमारे समाज से ड्रग्स का खतरा खत्म हो.“
हम जनाजे के लिए नहीं देंगे मस्जिद का ताबूत
इस बीच, जुरिया उदमारी बलुगुटिया जामा मस्जिद के कार्यकारी निकाय ने भी ऐसा ही फैसला लिया है. कार्यकारी निकाय की बैठक के दौरान जुरिया उदमारी बालुगुटिया जामे मस्जिद समिति के सद्र फ़ज़लुल हक माराल ने कहा, ’’हमने यह फैसला किया है कि मस्जिद समिति जनाज़ा वाहक यानी ताबूत प्रदान नहीं करेगी और कोई भी इमाम ऐसे शख्स के लिए जनाज़ा की नमाज़ अदा नहीं कराएगा, जो नशा करता रहा हो.’’
खुदाई खिदमतगार ने फैसले का किया स्वागत
वहीं, असम के मुस्लिम संगठन खुदाई खिदमतगार के सदर और गुवाहाटी हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट इलियास अहमद ने भी कहा है कि यह बहुत अच्छा फैसला है. मस्जिद कमेटी का इस फैसले का हम स्वागत करते हैं. ऐसा फैसला आसाम के हर जिले में लेना चाहिए. हालांकि, उन्होंने कहा कि एक बात है कि कानूनी तौर पर मरने वाले को उचित सम्मान मिलना चाहिए लेकिन यह भी सही है कि ड्रग्स जैसे नशे की वजह से पूरी युवा पीढ़ी और समाज बर्बाद हो रही है. इसलिए मस्जिद कमेटी ने जो फैसला लिया है वह सही है.
करोड़ों के अवैध ड्रग्स पकड़े गए हैं राज्य में
गौरतलब है कि विशेष रूप से, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में वर्तमान असम सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है. मई 2021 से राज्य में 900 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत के ड्रग्स जब्त किए गए हैं. अभी तक पूरे असम में बड़ी तादात में लोग ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं, लेकिन जब से मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने ड्रग्स विरोधी मुहिम चलाई है तभी से ड्रग्स व्यापारी पकड़े जा रहे हैं. पूरे आसाम में ड्रग्स के की वजह से हर साल हजारों युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रही है.
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