भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व लेग स्पिनर लक्ष्मण रामकृष्णन ((Laxman ShivaramanKrishnans)) ने कहा है कि उन्होंने अपने त्वचा की रंग की वजह से जिंदगी भर भेदभाव का सामना किया है.
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कानपुरः पूर्व भारतीय लेग स्पिनर लक्ष्मण रामकृष्णन (Laxman ShivaramanKrishnans) ने इल्जाम लगाया है कि उन्होंने जिंदगी भर ‘रंग के कारण भेदभाव’ का सामना किया है जो उनके अपने देश में भी किया गया है. शिवरामकृष्णन (Laxman ShivaramanKrishnans) भारत के लिए नौ टेस्ट और 16 वनडे खेल चुके हैं. उन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट को सुर्खियों में लाने वाले नस्लवाद प्रकरण के संदर्भ में अपने अनुभव का खुलासा किया है. शिवरामकृष्णन (ShivaramanKrishnans) ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘‘मैंने अपनी पूरी जिंदगी रंग के कारण भेदभाव और आलोचना का सामना किया है, इसलिए यह मुझे अब परेशान नहीं करता. दुर्भाग्य से यह मेरे अपने देश में हुआ.’’
I have been criticised and colour discriminated all my life, so it doesn’t bother me anymore. This unfortunately happens in our own country
— Laxman Sivaramakrishnan (@LaxmanSivarama1) November 26, 2021
अभिनव मुकुंद और डोडा गणेश भी कर चुके हैं नस्ल भेद की शिकायत
पूर्व लेग स्पिनर उस ट्विटर पोस्ट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें कमेंटेटरों पर ऑनलाइन ट्रोलिंग का संकेत दिया गया था. शिवरामकृष्णन ही एकमात्र भारतीय खिलाड़ी नहीं हैं जिन्होंने भेदभाव किए जाने के बारे में बात की है. बल्कि तमिलनाडु के सलामी बल्लेबाज अभिनव मुकुंद ने भी 2017 में सोशल मीडिया पर यह मुद्दा उठाया था. मुकुंद भारत के लिए सात टेस्ट मैच खेल चुके हैं. उन्होंने ट्विटर पेज पर एक बयान पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था, ‘‘मैं 15 साल की उम्र से देश के अंदर और बाहर यात्रा करता रहा हूं. जब से मैं युवा था, तब से ही लोगों की मेरी त्वचा के रंग के प्रति सनक मेरे लिए हमेशा रहस्य बनी रही है.
मुझे त्वचा के रंग को लेकर कोई पछतावा नहीं
मुकुंद ने बयान में कहा था, ‘‘जो भी क्रिकेट का अनुसरण करता है, वह इसे समझेगा. मैं धूप में पूरे दिन ट्रेनिंग करता और खेलता रहा हूं और कभी भी एक बार भी मुझे त्वचा के रंग के गहरे (टैन) होने का पछतावा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं जो करता हूं, मुझे वो पसंद है और आउटडोर घंटों के अभ्यास के बाद ही मैं निश्चित चीजों को हासिल करने में सफल हुआ हूं. मैं चेन्नई से हूं जो देश के सबसे गर्म स्थानों में से एक है. पिछले साल पूर्व भारतीय और कर्नाटक के तेज गेंदाबज डोडा गणेश ने भी नस्लीय भेदभाव के अनुभव के बारे में बताया था.
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