Bharat Bandh Today: दलितों और आदिवासियों ने क्यों बुलाया है भारत बंद? जानें क्या मांगे
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Bharat Bandh Today: दलितों और आदिवासियों ने क्यों बुलाया है भारत बंद? जानें क्या मांगे

Bharat Bandh Today: आज दलित और आदिवासियों संगठन ने बंद का ऐलान किया है. सुप्रीम कोर्ट के बीते रोज आए फैसले के बाद संगठनों ने मांगों की एक लिस्ट जारी की है. पढ़ें पूरी खबर

Bharat Bandh Today: दलितों और आदिवासियों ने क्यों बुलाया है भारत बंद? जानें क्या मांगे

Bharat Bandh Today: दलित और आदिवासी संगठनों ने शांतिपूर्ण स्ट्राइक करते हुए आज भारत बंद का का ऐलान किया है. आखिर ऐली क्या मांगे हैं, जिनकी वजह से यह बंद बुलाया गया है. बता दें, नौकरियों और शिक्षा में हाशिए पर पड़े समुदायों के व्यापक प्रतिनिधित्व की मांग पर जोर देने और उनके संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह प्रोटेस्ट किया जा रहा है.

क्यों है आज भारत बंद?

भारत बंद का आह्वान अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) ग्रुप्स के लिए कोटा के सब कैटेगराइजेशन पर हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले और केंद्रीय सिविल सेवाओं के लिए लेट्रल एंट्री् पर विवाद के बैकग्राउंड में किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

1 अगस्त को भारत के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की सात न्यायाधीशों की पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्यों के जरिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आगे सब-क्लासिफिकेशन की इजाज़त दी जा सकती है ताकि इन ग्रुप्स के अंदर अधिक पिछड़ी जातियों के लिए कोटा सुनिश्चित किया जा सके.

राहुल गांधी बोले ये ओबीसी SC/ST के लिए गलत

20 अगस्त को डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव स्तर के 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के विज्ञापन वापस लेने को कहा. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि यह कदम अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और एससी/एसटी समुदायों के आरक्षण अधिकारों पर हमला है.

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किन संगठनों ने बुलाया भारत बंद

भारत बंद का आह्वान दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) ने किया है. इन संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए दावा किया है कि यह ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में कोर्ट के पिछले फैसले को कमजोर करता है, जिसने आरक्षण के लिए फ्रेमवर्क बनाया था. 

एनएसीडीएओआर की तरफ से जारी की गई मांगों की लिस्ट

एनएसीडीएओआर ने मांगों की एक लिस्ट जारी की है, जिसमें सरकार से नौकरियों और शिक्षा में इन समुदायों के लिए सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की मांग की गई है.

- सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करने की गुजारिश करते हुए, उन्होंने एक नए केंद्रीय अधिनियम की मांग की, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची के जरिए न्यायिक समीक्षा से संरक्षित किया गया हो. अतीत में, सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि किसी कानून को नौवीं अनुसूची के तहत रखने से उसे न्यायिक समीक्षा से सुरक्षा नहीं मिलती है.

- एनएसीडीएओआर ने सरकारी सेवाओं में एससी/एसटी/ओबीसी कर्मचारियों के जाति-आधारित आंकड़ों को तत्काल जारी करने की भी मांग की है ताकि उनका सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके.

- संस्था ने सरकार से सार्वजनिक सेवाओं में इन ग्रुप्स के कास्ट वाइज़ प्रतिनिधित्व पर आंकड़े जारी करने का आग्रह किया है. इस के साथ ही ग्रुप ने केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ पब्लिक सेक्टर के उपक्रमों में सभी बची हुई वैकेंसी को भरने का आह्वान किया है. निजी क्षेत्र में, निकाय ने कहा कि सरकारी सब्सिडी या निवेश से लाभ उठाने वाली कंपनियों को अपनी फर्मों में सकारात्मक कार्रवाई नीतियां लागू करनी चाहिए.

क्या रहेगा खुला?

अस्पताल, एम्बुलेंस और चिकित्सा सुविधाएं जैसी आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी. बैंकों, सरकारी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के बंद रहने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. एनएसीडीएओआर ने सभी ओबीसी और एससी/एसटी समूहों से बड़ी संख्या में शांतिपूर्ण तरीके से भाग लेने का आग्रह किया है.

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