बिहार में एक दिन में कैसे हुई 27 बच्चों समेत 46 लोगों की मौत, जानें पूरा मामला
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बिहार में एक दिन में कैसे हुई 27 बच्चों समेत 46 लोगों की मौत, जानें पूरा मामला

Bihar News: बिहार के अलग-अलग जिलों में अब तक 46 लोगों की मौत हो गई है. जिसमें 27 बच्चे भी शामिल है. इस हादसे से पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.

बिहार में एक दिन में कैसे हुई 27 बच्चों समेत 46 लोगों की मौत, जानें पूरा मामला

Bihar News: बिहार में 25 सितंबर को Jitputrika Festival मनाया गया. जहां, लोग नदियों और तालाबों में स्नान करने गए थे. इस दौरान अलग-अलग हादसों में 27 बच्चों समेत 46 लोगों की डूबने से मौत हो गई. राज्य सरकार ने 26 सितंबर की देर रात को एक बयान में यह जानकारी दी. सीएम नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और आठ मृतकों के परिजनों को यह राशि दिया जा चुका है.

इन जिलों में हुई घटनाएं
अधिकारियों ने बताया कि पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, बक्सर, सीवान, रोहतास, सारण, नालंदा, औरंगाबाद, कैमूर, पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज और अरवल जिलों में डूबने की घटनाएं सामने आईं. राज्य के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने इन घटनाओं पर शोक व्यक्त किया और कहा कि ये घटनाएं चिंता का विषय है. 

डिप्टी सीएम ने जताया शोक
उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और चिंता का विषय है. सीएम हालात पर करीब से नजर रख रहे हैं. दुख की इस घड़ी में वह मृतकों के परिवारों के साथ हैं." 

राजद ने बोला हमला
इस बीच, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि प्रशासन को नदियों के सभी घाटों पर पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए थी. तिवारी ने आरोप लगाया, "यह बहुत दुखद है कि इस त्योहार के दौरान कल राज्य के विभिन्न हिस्सों में 46 लोगों की मौत हो गई. जिला प्रशासन को सभी घाटों पर उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी, न कि सिर्फ समर्पित घाटों पर, इससे पता चलता है कि राज्य सरकार को लोगों के जीवन की बिल्कुल भी परवाह नहीं है." 

औरंगाबाद में सबसे अधिक आठ मौतें हुईं
औरंगाबाद के जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "जिला प्रशासन "जीवित्पुत्रिका'' त्योहार के दौरान नदियों-तालाबों के किनारे ऐसे सुरक्षित घाटों पर जाने वाले सभी लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करता है. समस्या तब पैदा होती है जब लोग असुरक्षित घाटों पर जाते हैं, जिन्हें प्रशासन द्वारा तैयार नहीं किया जाता है." 

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