Bihar officers told not to call too many meetings: बिहार सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर अफसरों से कहा है कि वह अनावश्यक तौर पर मौखिक रूप से बुलाई जाने वाली बैठकों से परहेज करें, क्योंकि इससे कर्मचारियों की उत्पादन क्षमता में कमी आ रही है.
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पटनाः क्या ऑफिस में होने वाली अनावश्यक मीटिंग्स आपको भी परेशान करती है ? अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि गैर-जरूरी मीटिंगस से उनका कार्य प्रभावित होता है.
अब बिहार सरकार ने विभागाध्यक्षों, जिलाधिकारियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को सलाह दी है कि वह मीटिंगस कम करें, क्योंकि इससे राज्य में कर्मचारियों की कार्य संस्कृति प्रभावित हो रही है. बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा हाल ही में जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि मौखिक आदेशों पर बैठकें नहीं बुलाई जानी चाहिए, और अफसरों को अधीनस्थों का सम्मान करना चाहिए.
सर्कुलर में कहा गया है कि राज्य के सभी विभाग प्रमुखों, जिलाधिकारियों और वरिष्ठ अफसरों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समिति की सभी सिफारिशों का सख्ती से पालन किया जाए.
समिति ने की है सिफारिश
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा की अधीनस्थ विधान समिति ने, सदन में पेश अपनी रिपोर्ट में कई सिफारिशें की हैं. इसमें कहा गया है कि बहुत अधिक बैठकें (वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बुलाई गई) राज्य में नौकरशाही कार्य संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है. अधिकारियों को ऐसी बैठके बुलाने से बचना चाहिए. मौखिक रूप से बैठकें (आपातकाल को छोड़कर) और वरिष्ठों को अधीनस्थ अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक / गंदी भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए.
'ड्यूटी पर’ नहीं माना जाता कर्मचारी
अगर बैठकें मौखिक रूप से बुलाया जाता है, तो वरिष्ठतम अधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बैठक के कार्यवृत्त समाप्त होने के बाद तैयार किए जाएं. यह देखा गया है कि अगर कोई जूनियर अधिकारी कार्यालय समय के बाद मौखिक रूप से बुलाया जाता है और बैठक में हिस्सा लेता है फिर अपने घर वापस जाते समय अकर दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो उसे ’ड्यूटी पर’ नहीं माना जाता है. इसलिए, मौखिक रूप से बैठकें बुलाने के चलन से बचना चाहिए.
अफसर नहीं करेंगे गंदी भाषा का इस्तेमाल
समिति ने कहा कि बैठकों के दौरान जूनियर अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक/गंदी भाषा का उपयोग करने की अनुमति नहीं है, वरिष्ठ अधिकारियों को बेहतर उत्पादकता के लिए अपने अधीनस्थ अधिकारियों का सम्मान, प्रेरणा और प्रोत्साहन देना चाहिए.
थका देने वाला होता है बैठकों में भाग लेना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अधीनस्थ विधान समिति के प्रमुख अजीत शर्मा ने शुक्रवार कहा, "बहुत अधिक बैठकों में भाग लेना अत्यधिक तनावपूर्ण और थका देने वाला होता है, और उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ता है. इससे कर्मचारी पदावनत हो जाते हैं, और अपना काम नहीं कर पाते हैं. अधिकारियों द्वारा बहुत अधिक बैठकों (उनमें से कुछ अनुत्पादक हैं) ने राज्य में नौकरशाही कार्य संस्कृति को खराब कर दिया है. शर्मा ने कहा, “ अप्रभावी या अनुत्पादक बैठकें जो समय बर्बाद करती हैं, अधिकारियों के मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं.'
विपक्षी भाजपा भी इस मसले पर सरकार के साथ
समिति की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता और समिति के सदस्य नितिन नवीन ने कहा कि यह सही है कि वरिष्ठ नौकरशाहों द्वारा बहुत ज्यादा बैठकें करने का चलन बंद होना चाहिए. अफसर अगर बैठकों में ही व्यस्त रहेंगे तो सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन कौन करेगा. भाजपा नेता ने कहा है कि सिर्फ हवादार और वातानुकूलित कमरे में बैठकर हम एक उत्तरदायी सरकार के बारे में नहीं सोच सकते हैं.
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