2015 में भी हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुए थे Rawat, कहा था-पहाड़ का आदमी हूं, ऐसे छोटे हादसे में नहीं मरूंगा
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2015 में भी हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुए थे Rawat, कहा था-पहाड़ का आदमी हूं, ऐसे छोटे हादसे में नहीं मरूंगा

Bipin Rawat Helicopter Crash: पूरा हिंदुस्तान उनकी जल्द सेहतयाबी के लिए दुआ कर रहा था. हालांकि वो दुआएं काम ना आ सकी और बिपिन रावत अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं.

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नई दिल्ली: देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत (Bipin Rawat) का हेलिकॉप्टर बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर इलाके में हादसे का शिकार हो गया है. इस हेलिकॉप्टर में बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत सभी 14 लोगों की मौत हो गई है.  

पूर्व आर्मी चीफ और देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर हादसे की खबर मिलते ही देशभर में उनके जल्द सेहतमंद होने की दुआएं की जाने लगी थीं. पूरा हिंदुस्तान उनकी जल्द सेहतयाबी के लिए दुआ कर रहा था. हालांकि बिपिन रावत की सेहतयाबी के लिए की गई दुआएं काम नहीं आसकीं. हालांकि बिपिन रावत पहले भी एक हादसे शिकार हो चुके हैं लेकिन उस वक्त उन्होंने मौत को भी मात दे दी थी. 

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2015 में भी हादसे का हो चुके शिकार
उस वक्त बिपिन रावत लेफ्टिनेंट जनरल थे और फौज की नगालैंड के दिमापुर में मौजूद 3-कोर के हेडक्वॉर्टर के चीफ के पद तैयान थे. रावत 3 फरवरी 2015 को अपने चीता हेलीकॉप्टर (Cheetah Helicopter) में सवार होकर निकले थे, लेकिन कुछ ऊंचाई पर जाते ही उनके हेलीकॉप्टर का कंट्रोल खो गया और क्रैश हो गया था. इस हादसे में बिपिन रावत बाल-बाल बचे थे. उन्हें मामूली चोटें आई थीं. उस वक्त सेना ने अपने बयान में कहा था कि हेलिकाप्टर जमीन से कुछ मीटर की ऊंचाई तक पहुंचा था. इस दौरान सिंगल इंजन के इस हेलीकाप्‍टर में कुछ गड़बड़ी आ गई. इसके बाद दोनों पायलटों का हेल‍िकाप्‍टर से नियंत्रण छूट गया, लेकिन क्रैश में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं आई थी. इस हादसे पर बिपिन रावत ने कहा था कि मैं पहाड़ का आदमी हूं ऐसे छोटे हादसे में नहीं मरूंगा.

कौन हैं बिपिन रावत
बता दें कि बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था. उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत जो सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद तक सेनानिवृत्त हुए. उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें 'स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर 'से सम्मानित किया गया था. उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव है.

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