महज़ चंद सेकेंड में घर बैठे होगी मोतियाबिंद की जांच, करें ये उपाय
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महज़ चंद सेकेंड में घर बैठे होगी मोतियाबिंद की जांच, करें ये उपाय

मोतियाबिंद की अगर सही वक्त पर जांच हो जाए और इसका इलाज किया जाए तो इसका इलाज मुम्किन है.

Motiyabind

Free Cataracts Checkup: अब घंटों में नहीं महज़ चंद सेकेंड में पता चलेगा कि मोतियाबिंद है या नहीं. लॉजी एआई के तआवुन से दिल्ली के शार्प साइट आई हॉस्पिटल ने एक ऐसी तकनीक बनाई है जिससे मोतियबिंद वालों को बड़ी राहत मिलेगी. आज कल सबके पास स्मार्ट फोन है. करना सिर्फ इतना है कि अपने एंड्राइड मोबाइल के कैमरे से सिर्फ एक फोटो क्लिक करनी है और वह फोटो दिल्ली केसरबाई हॉस्पिटल में भेजनी है. इसके बाद स्पेशल स्क्रीनिंग सलूशन की बुनियाद पर चंद सेकंड में आंख में मोतियाबिंद यानी कैटरेक्ट बीमारी की मैच्योरिटी और इमैच्योरिटी का पता लगाया जा सकता है.

मुफ़्त में घर बैठे जांच

शार्प साइट आई हॉस्पिटल (Sharp Sight Eye Hospital) के फ़ाउंडर डॉक्टर समीर सूद ने ज़ी सलाम को बताया कि "इसके लिए कोई पैसा खर्च करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. कैटरेक्ट बीमारी आंखों की एक ऐसी बीमारी है जिसका अंदाजा किसी भी इंसान को आसानी से नहीं लग पाता है और कैटरेक्ट के मरीज़ धीरे-धीरे अंधेपन की जानिब बढ़ जाते हैं." कैटरेक्ट के मरीज़ों को पता भी नहीं चलता कि उन्हें मोतियाबिंद है और उन्हें दूर का या पास का दिखना बंद भी हो जाता है. यही वजह है कि हिंदुस्तान में नाबीना (दृष्टिहीन) होने की 70 फ़ीसद वजह मोतियाबिंद ही होती है.

अब वक़्त पर होगा मोतियाबिंद का इलाज

इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मोतियाबिंद का सही वक़्त पर इलाज किया जाए तो यह ठीक हो सकता है. ज़ाहिर है जब डिटेक्ट सही वक़्त पर होगा तो इलाज भी सही वक़्त पर ही होगा. इस तकनीक को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर तमिल नाडु में शुरू किया गया है. हालांकि अबतक क़रीब 10 हज़ार मरीज़ों की जांच हो चुकी है और इसकी एक्यूरेसी 95 फ़ीसद तक है.

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देही इलाक़े वालों को भी फ़ायदा

शार्प साइट आई हॉस्पिटल के फ़ाउंडर डॉक्टर समीर सूद ने ज़ी सलाम को बताया कि "इस एप्प को हिंदुस्तान के सिर्फ शहरी इलाक़ों में ही नहीं बल्कि देही इलाक़ों में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा." क्योंकि जब लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें मोतियाबिंद है या नहीं तो इलाज भी मुमकिन नहीं हो पाता. सबसे अहम बात ये है कि "अब मोतियाबिंद की जांच कराने के लिए मरीज़ को अस्पताल जाने की ज़रूरत नहीं है बल्कि घर बैठे ही टेस्ट हो जाएगा कि मोतियाबिंद है या नहीं. अगर किसी को यह बीमारी है तो यह भी पता चल जाएगा कि कच्चा मोतियाबिंद है या पक्का मोतियाबिंद." ज़ाहिर सी बात है कि जिस चीज़ की टेस्टिंग इतनी आसान और घर बैठे हो रही हो उससे टेस्टिंग तो बढ़ेगी ही, साथ ही जो मोतियाबिंद की जानकारी ना होने पर लोग नाबीना हो जाते हैं, उन मामलात में भी कमी आएगी.

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