Waqf Board Delhi: दिल्ली वक्फ बोर्ड कितने इमामों को पैसा दे रहा है इसके बारे में सीआईसी ने जानकारी मांगी है. इससे पहले एक आरटीआई के जरिए इस तरह की जानकारी मांगी गई थी.
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Waqf Board Delhi: सीआईसी यानी केंद्रीय सूचना आयोग ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के ऑफिस को निर्देश दिया है कि वह मस्जिदों के उन इमामों को दिए गए वेतन की जानकारी दें जिनका रखरखाव दिल्ली वक्फ बोर्ड के जरिए नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा निर्देश दिए गए हैं कि इसपर 20 दिन के अंदर अमल किया जाए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो सीआईसी अपनी ताकतों का इस्तेमाल करते अधिकारियों को तलब करेगा.
सूचना आयुक्त उदय महूकर ने कहा है कि मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को दोपहर तीन बजे होनी है, ताकि इस आदेश के पालन को सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा अगर ऐसा नहीं होता है तो आयेग धारा 18 (3) (ई) के तहत मिली ताकतों का इस्तेमाल करेगा, और पक्षों को तलब करेगा. आपको जानकारी के लिए बता दें महूकर ने 25 नवंबर 2022 को आदेश दिया था जिसमें दिल्ली वक्फ बोर्ड और दिल्ली राजस्व विभाग को निर्देश दिया गया था आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की ओर से मांगी गई जानकारी को मुहैया कराए.
अग्रवाल ने आरटीआई में जानकारी मांगी थी कि देश की राजधानी दिल्ली में कितनी मस्जिदें हैं जिनके इमालों को वेतन मिलता है. इसके अलावा इन मस्जिदों पर सालाना खर्चों का विवरण मांगा था. अग्रवाल ने कहा था कि क्यो हिंदू मंदिरों के पुजारियों को भी इस तरह का वेतन मिलता है.? इस मामले को लेकर दिलली के मुख्यमंत्री के कार्यालयों ने कोई जवाब नहीं जिया था.
आपको जानकारी के लिए बता दें 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय इमाम संगठन की एक याचिका पर वक्फ बोर्ड को उसके द्वारा प्रबंधित मस्जिदों के इमामों को पारिश्रमिक देने का निर्देश दिया था. जिसके तहत इमामों को पैसा मिलता है. अग्रवाल ने इस मामले में आरटीआई लगाई और जब जवाब नहीं मिला तो आयोग में शिकायत दर्ज की के सीआईसी के प्राधिकारियों ने सीआईसी के 25 नवंबर 2022 का आदेश का पालन नहीं किया है.
रिपोर्ट्स के अनुसा रराजस्व विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रतिनिधियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उन मस्जिदों के इमामों को वेतन देने के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदारी हैं जिनका रखरखाव बोर्ड नहीं करता है. इसके बाद आयोग ने मुख्यमंत्री कार्यालय के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को निर्देश दिया कि वह इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाएं.
आपको जानकारी के लिए बता दें महूकार ने सबूत के तौर पर कई समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री ने दिल्ली की उन मस्जिदों के इमामों और अन्य को तनख्वाह देने के संबंध में ऐलान किया था जो बोर्ड के नियंत्रण में नहीं आती हैं.