Not UP and Bihar Rajasthan is producing Highest number of IAS officers: पिछले कुछ सालों में देश में सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों में पारंपरिक राज्यों के उम्मीदवारों का प्रतिशत कम होता जा रहा है. वहीं राजस्थान इस मामले में तेजी से उभरता हुआ राज्य हैं, जहां से सर्वाधिक उम्मीदवार इस सेवा में आ रहे हैं.
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जयपुरः लंबे अरसे से उत्तर प्रदेश और बिहार के सबसे ज्यादा लोग सिविल सेवा में आते रहे हैं, लेकिन अब इन दोनों राज्यों का दबदबा यहाँ ख़त्म होता दिखाई दे रहा है. सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई-21) में आईएएस में चयनित 180 छात्रों में से अकेले राजस्थान के 24 छात्रों ने इस परीक्षा में बाजी मारी थी. इस तरह आबादी में कम होते हुए भी राजस्थान ने अब उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा सिविल सेवक पैदा करने के मामले में पीछे छोड़ दिया है. इस मामले में विशेषज्ञ राज्य के अच्छे प्रदर्शन का श्रेय उत्कृष्ट कोचिंग संसाधनों और युवाओं में इस परीक्षा को लेकर बढ़ती जागरूकता को देते हैं.
यूपी को पीछे छोड़ नंबर एक पर आया राजस्थान
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार सालों में राजस्थान ने 84 आईएएस अफसर दिए हैं, और पिछले तीन सालों में साल-दर-साल इसका ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा, 2019 में राजस्थान राज्य के मूल निवासी के तौर पर सिर्फ 16 उम्मीदवारों का चयन किया गया था. इसी तरह 2020 में 22 और 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 24 हो गया. 2020 में, उत्तर प्रदेश ने 30 आईएएस और राजस्थान से 22 आईएएस दिए थे. सीएसई-2021 में आईएएस ग्रेड पाने वाले 24 छात्र राजस्थान से, 19 उत्तर प्रदेश से, 16 दिल्ली से, 14 बिहार से, 13 महाराष्ट्र से, 12 छात्र मध्य प्रदेश से और अन्य दूसरे राज्यों से थे.
इस वजह से राजस्थान के उम्मीदवारों की बढ़ रही संख्या
2020 में इस परीक्षा में 13 रैंक हासिल करने वाले और वर्तमान में राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में सहायक कलेक्टर, गौरव बुडानिया ने इस बदलाव के लिए विद्यार्थियों में प्रेरणा, परीक्षा पैटर्न में बदलाव, एससी/एसटी समुदाय में जागरूकता और कोचिंग के लिए राजस्थान की दिल्ली से नजदीकी को बड़ी वजह बताते हैं. बुडानिया ने कहा, ’’जैसे-जैसे राज्य से छात्र सीएसई के लिए चुने जा रहे हैं, दूसरे छात्र इससे प्रेरणा ले रहे हैं. 2020 बैच के आईएएस अधिकारी ने कहा कि राजस्थान में लगभग 25 प्रतिशत एससी/एसटी आबादी है, जो अन्य राज्यों में इसी समुदाय के अन्य सदस्यों की तुलना में कहीं ज्यादा जागरूक है, इसलिए वे बड़ी संख्या में परीक्षा में शामिल होते हैं.
ऑनलाइन कोचिंग से हो रहा है ये बदलाव
एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाने वाले विशेषज्ञ ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा के बारे में युवाओं में जागरूकता बढ़ रही है, और अब राज्यों में भी कोचिंग सुविधाएं मिलने लगी है. परीक्षा की तैयारी ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में उपलब्ध है. जो कोचिंग सुविधाएं पहले दिल्ली तक सीमित थीं, अब दिल्ली से बाहर भी उपलब्ध है. इसलिए, कोई भी कहीं भी बैठकर अध्ययन और इसकी तैयारी कर सकता है.
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