Delhi High Court: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है. दिल्ली हाईकोर्ट में एक नई जनहित अर्जी (PIL) दायर की गई है, जिसमें दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को सीएम ओहदे से हटाने की मांग की गई है.
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Arvind Kejriwal News: दिल्ली हाईकोर्ट में एक नई जनहित अर्जी (PIL) दायर की गई है, जिसमें दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को सीएम ओहदे से हटाने की मांग की गई है. हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता द्वारा दायर अर्जी में कहा गया है कि, कथित शराब पॉलिसी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद पैदा हुए हालात संविधान के खिलाफ जाते हैं. दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को केजरीवाल की ईडी हिरासत 1 अप्रैल तक बढ़ा दी है.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केजरीवाल को सीएम ओहदे से हटाने की मांग करने वाली इसी तरह की एक अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है और कानून के मुताबिक, इसकी जांच करना सरकार का काम है. हालांकि, गुप्ता की अर्जी में दलील दी गई है कि संविधान के आर्टिकल 164 के तहत, एक सीएम की बर्खास्तगी जरूरी है. अगर वो इस तरह से काम करते हैं जो कानून के शासन को कमजोर करता है या संवैधानिक विश्वास की खिलाफवर्जी करता है. इसके अलावा, इसमें इल्जाम लगाया गया है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली की सरकार कैबिनेट की मीटिंग बुलाने में नाकाम रही है, जिससे संवैधानिक ढांचा प्रभावित हो रहा है और शासन के कामकाज में रूकावट पैदा हो रही है.
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चिकाकर्ता ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धन शोधन निवारण एक्ट दोनों के तहत उनके खिलाफ इल्जामात की संजीदगी का हवाला देते हुए दलील दी है कि केजरीवाल के सीएम ओहदे पर बने रहने की पात्रता उनकी गिरफ्तारी पर खत्म हो जाती है. ऐसे हालात के लिए संविधान में कोई साफ प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद जनहित अर्जी में दलील दी गई है कि, संवैधानिक अदालतों को प्रशासन और शासन की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए दखल देने का हक है. इसमें कहा गया है कि, भारत के संविधान में ऐसे हालात की कल्पना नहीं की गई है जहां गिरफ्तारी की कंडीशन में सीएम न्यायिक हिरासत या पुलिस हिरासत से अपनी सरकार चला सके.