दिल्ली दंगे 2020 : कोर्ट की नजर में 'इंकलाब' और 'क्रांतिकारी' जैसे शब्द भी आपत्तिजनक
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दिल्ली दंगे 2020 : कोर्ट की नजर में 'इंकलाब' और 'क्रांतिकारी' जैसे शब्द भी आपत्तिजनक

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद से प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल शब्दों पर खालिद से किया सवाल. 

अलामती तस्वीर
अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद से अमरावती में दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस्तेमाल कुछ शब्दों को लेकर सवाल किया. अदालत ने कहा कि भाषण में प्रधानमंत्री के लिए अन्य शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता था और वाक्य अधिक बेहतर तरीके से बनाए जा सकते थे. न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने हिंदी में दिए गए भाषण में इस्तेमाल कुछ शब्दों पर आपत्ति जताई. न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘यह क्या है? कैसे आप इस तरह के शब्द का इस्तेमाल देश के प्रधानमंत्री के लिए कर सकते हैं? आप इसे बेहतर तरीके से बोल सकते थे.

आपने ‘इंकलाब’ और ‘क्रांतिकारी’ का इस्तेमाल कियाः कोर्ट 
पीठ ने सवाल किया कि खालिद का अभिप्राय ‘‘इंकलाब’’ और ‘‘क्रांतिकारी’’ से क्या है जिनका इस्तेमाल उसने अपने भाषण में किया है. पीठ ने कहा, ‘‘ हम सभी ‘‘ इंकलाब जिंदाबाद ’’ का मतलब जानते हैं. आपने ‘इंकलाब’ और ‘क्रांतिकारी’ का इस्तेमाल किया. क्या जरूरत है कि देखा जाए कि किस संदर्भ में ‘इंकलाब’ शब्द का इस्तेमाल किया गया.’’ 

इंकलाब, क्रांतिकारी या क्रांति अपराध नहींः बचाव पक्ष  
इसपर खालिद के वकील ने कहा कि इसका अभिप्राय क्रांति है और क्रांति शब्द का इस्तेमाल अपराध नहीं है. उन्होंने अपने मुवक्किल की ओर से कहा कि मैंने इस शब्द का इस्तेमाल लोगों को भेदभाव वाले कानून के खिलाफ खड़े होने और उसका विरोध करने के संदर्भ में किया. मेरी किसी कल्पना में ‘‘ इंकलाब’’, ‘‘क्रांतिकारी’’ या क्रांति अपराध नहीं कही जा सकती. यह अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ आह्वान था. हिंसा का आह्वान नहीं किया. मैंने इस शब्द का इस्तेमाल अन्यापूर्ण कानून के बहिष्कार का आह्वान करने के लिए किया.’’ 

क्या है मामला ? 
गौरतलब है कि वर्ष 2020 में दिल्ली में हुए दंगे के मामले में खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है.

Zee Salaam

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