नई दिल्ली: रांची की रहने वाली एक महिला ने ऐसी गलती कर दी के लेने के देने पड़ गए. दरअसल ये महिला कई दिनों से डायबिटीज सही करने के लिए कई दिनों से मछली का कच्चा पित्ताश्य खा रही थी.
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नई दिल्ली: रांची की रहने वाली 48 वर्षीय सेता देवी को गंभीर गुर्दे की बीमारी के कारण सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया. पूछताछ करने पर, यह पता चला कि उसने एक स्थानीय नीम हकीम की सलाह के अनुसार अपनी डायबिटीज की बीमारी को ठीक करने के लिए 3 दिनों तक "रोहू" (लेबियो रोहिता) मछली के कच्चे पित्ताशय (raw gallbladder) को खाया है.
कुछ ही दिनों के बाद ही उन्हें उल्टियां होने लगी. जब महिला की हालत ज्यादा बिगड़ी तो उसे सर गंगा राम अस्पताल लाया गया. उसे नेफ्रोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया, जहां महिला को हेमोडायलिसिस के 2 sessions दिए गए. किडनी की जब बायोप्सी की गई तो पता लगा कि गंभीर सूजन आई हुई है. मरीज को स्टेरॉयड देने शुरू किये गए 7वें दिन तक, उसकी किडनी ठीक होने लगी और 2 सप्ताह के बाद, उसे सामान्य किडनी फंक्शन के साथ छुट्टी दे दी गई.
कच्ची मछली के पित्ताशय (Gallbladder) का कच्चा सेवन भारत सहित एशिया के कुछ इलाकों में होता है. खास तौर पर पूर्वी और दक्षिणी भारत में ये एक आम बात है. इसे पारंपरिक रूप से diabetes, ब्रोन्कियल अस्थमा, गठिया और भैंगेपन को ठीक करने के लिए कई जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है.
डॉ. ए.के. भल्ला, चेयरमैन, डिपार्टमेंट ऑफ़ नेफ्रोलॉजी, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, मछले के कच्चे पित्ताश्य को खाने से बचना चाहिए. ये मछलियां स्वाभाविक रूप से अपने पाचन तंत्र में उच्च स्तर के पित्त का उत्पादन करती हैं, जो बड़ी मात्रा में खाने पर मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकता है.
इसे अलावा पित्त में साइप्रिनॉल नाम का जहर या एसिड होता है, जो मनुष्यों में गुर्दे को नुक़सान कर सकता है. डॉ. वैभव तिवारी, कंसलटेंट, डिपार्टमेंट ऑफ़ नेफ्रोलॉजी, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, उन मछलियों का सेवन न करें जिनमें पित्त का उच्च स्तर होता है. यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि मछली ठीक से तैयार की गई है और अच्छी तरह से पकाई गई हो.