Madhya Pardesh Election 2023: मध्य प्रदेश में ताजा रुझान के मुताबिक बीजेपी की सरकार बहुमत के आंकड़ो से आगे चल रही है. मोदी का करिश्मा, शिवराज की योजना और शाह की रणनीति सभी ने अहम रोल अदा किया हैं. जानें बीजेपी की सरकार बनने की वजह आखिर क्या है.
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Madhya Pardesh Election 2023: मध्य प्रदेश में 230 सीटों पर गिनती जारी है. ताजा रुझान के मुताबिक सिर्फ मध्य प्रदेश में नहीं बल्कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी की सरकार बनती नजर आ रही है. फिल्हाल के जो रुझान है, उसमें बीजेपी 166 सीटो पर और कांग्रेस 63 सीटो पर सीमट कर चल रही है.
अगर अभी के रुझान के मुताबिक चुनाव के नतीजे आए तो मध्य प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार का डंका गूंजेगा. साल 2003 से यहां बीजेपी की सरकार बरकरार है. हालांकि मध्यप्रदेश में भाजपा 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में मामूली अंतर से कांग्रेस से हार गई थी, जिसके बाद कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी. लेकिन 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ करीब 22 कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो गये थे, जिसके वजह से कांग्रेस सरकार गिर गई और 23 मार्च 2020 में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में फिर भाजपा सत्ता में वापस आई. मोदी का करिश्मा, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 'लाडली बहना योजना' से बीजेपी राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में शानदार जीत की तरफ बढ़ रही है.
शिवराज की योजना
मध्य प्रदेश के चुनाव में शिवराज सिंह की लाडली बहना योजना ने अहम रोल अदा किया है और पीएम ने भी अपने रैलियो में इसका जिक्र किया है. यह योजना इस साल 10 जून को लागू की गई जिसके तहत औरतों को हर महीने 1,000 रुपये देने से शुरुआत हुई. लाडली बहना योजना के अंतर्गत प्रदेश के 2.72 करोड़ महिला मतदाताओं में से 1.31 करोड़ महिलाओं को वर्तमान में 1,250 रुपये प्रति माह दिया जा रहा है. चौहान ने सत्ता में वापस आने पर इस योजना के तहत राशि को धीरे-धीरे बढ़ाकर प्रतिमाह 3,000 रुपये करने का वादा किया था. यह योजना भी कांग्रेस के सत्ता में आने के सपनों पर पानी फिरने की वजह है. इस बार चुनाव में आदमियों के मुकाबले ज्यादा औरतों ने वोट दिया है.
मोदी और चाणक्य ने संभाली कमान
इस राज्य में पीएम के तकरीबन 14 रैलियां की है और लाडली योजना का जिक्र किया है. मध्य प्रदेश में पीएम के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया है, जिसकी रणनीति चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने बनाई है. सितंबर में शाह ने चुनाव प्रबंधन को नियंत्रित करने और रणनीतियों को तैयार करने का कठिन काम अपने ऊपर ले लिया था. जिसके बाद उन्होंने सत्ता विरोधी लहर को दूर रखने के लिए चौहान को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने केनहीं किया. मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने के लिए बीजेपी ने प्रधानमंत्री के करिश्मे पर काफी भरोसा किया है. उनकी रैली में भारी भीड़ उमड़ी थी. पार्टी के इस चुनाव प्रचार में 'एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी' मुख्य नारा रहा है.
हिंदुत्तव कार्ड
राजस्थान के तरह बीजेपी ने मध्य प्रदेश में भी किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है. चुनाव की रैलियों में योगी, मोदी और ,शिवराज ने राम मंदिर का जिक्र भी किया है. बीजेपी यहां पर साफ तरह से हिंदुत्तव कार्ड खेलती नजर आई है.
सोशल इंजीनियरिंग का कमाल
इस राज्य में दलित, आदिवासी और ओबीसी जाती के लोगों ने बीजेपी के उम्मीदवारों को कांग्रेस से ज्यादा वोट दिए हैं. इस शानदार जीत में सोशल इंजीनियरिंग ने भी काम किया है.