Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री तौर पर शपथ ले ली है. जानकारों के मुताबिक कुछ खास कारण रहे हैं जिन्होंने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया है.
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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की जनता उम्मीद कर रही थी कि देवेंद्र फडणवीस 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे लेकिन एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की खबर ने कई लोगों को हैरान कर दिया. एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने का ऐलान तब किया गया जब देवेंद्र फडणनवीस और एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करके वापस आए. जानकार मानते हैं कि कुछ खास कारण थे जिनकी वजह से एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना जायज था. आइए इन्हें समझते हैं.
1. साल 2019 में भाजपा और शिवसेना ने एक साथ महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव लड़ा. मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं होने की वजह से चुनाव के नतीजे आने के बाद दोनों का गठबंधन टूट गया. इसके बाद अजित पवार की एनसीपी के सपोर्ट के बाद देवेंद्र फडणवीस ने सुबह ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. जल्दबाजी में बनाया गया यह गठबंधन ज्यादा देर टिक नहीं पाया. हालांकि भाजपा सत्ता की लालच में थी. अब एकनाथ शिंदे की वजह से भाजपा कम विधायकों के बावजूद सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही.
2. उद्वव ठाकरे जब अपने पद से इस्तीफा दे रहे थे तो उन्होंने अवाम को यह मससूस कराया था कि भाजपा ने उनके पीठ में छूरा घोपा है. उन्होंने कहा था कि आपने (भाजपा) बालासाहेब के बेटे को गद्दी से उतारा है. उद्धव के इस बयान के बड़े मायने थे. इससे उन्हें जनता की सहानुभूति मिल सकती थी. लेकिन एक शिव सैनिक (एकनाथ शिंदे) को महाराष्ट्र की गद्दी पर बिठाने के बाद जनता की सहानुभूति एकनाथ शिंदे के साथ ही रहेगी.
3. जानकारों का मानना है कि भाजपा शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत को बनाए रखना चाहती है. देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कांफ्रेंस में कई बार इस बात का जिक्र भी किया. आखिरकार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर एक शिव सैनिक (एकनाथ शिंदे) के बैठने से बालासाहेब का यह सपना भी पूरा हो गया.
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4. महाराष्ट्र में जारी हालिया सियासी संकट ने लोगों के बीच यह सवाल पैदा कर दिया था कि असली शिवसेना कौन है. लेकिन इस सवाल का जवाब एकनाथ शिंदे हैं. इसकी वजह यह है कि एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब की विरासत को जिंदा रखा है. अगर एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ हैं तो भाजपा 2024 के विधानसभा चुनाव में जनता को यह बताने में कामयाब रहेगी कि असली शिवसेना उनके साथ है.
5. एकनाथ शिंदे के पास भले ही कई विधायकों का सपोर्ट हो लेकिन राजनीति में चीजें बदलती रहती हैं. बागी हुए विधायकों के कभी भी दोबारा बागी होने के चांसेस रहते हैं. लेकिन एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद विधायकों के बागी होने के चांसेस कम हैं क्योंकि वह भाजपा की अगुवाई वाली सरकार में नहीं हैं वह शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार में हैं. इसलिए मुम्किन है कि चीजें सही दिशा में आगे बढ़ें.
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