25 airports have been earmarked for leasing: सरकार ने कहा है कि इससे होने वाली आमदनी का इस्तेमाल सरकार देशभर में नए हवाईअड्डे स्थापित करने में करेगी और इसे निजी हाथों में देने से हवाईअड्डों का बेहतर प्रबंधन होगा और आधुनिक यात्री सुविधाएं हासिल होगी.
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नई दिल्लीः देश के कई एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और कुछ ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने के बाद सरकार ने तीन सालों के लिए देश के 25 अन्य एयरपोर्ट को भी निजी हाथों में सौंप दिया है. संसद में सोमवार को सरकार ने बताया है कि 2022 से 2025 के बीच कुल 25 हवाई अड्डों को लीज पर देने का प्लान तैयार किया गया है.
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइ के मुताबिक, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण 25 हवाई अड्डे - भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, त्रिची, इंदौर, रायपुर, कालीकट, कोयम्बटूर, नागपुर, पटना, मदुरै, सूरत, रांची, जोधपुर, चेन्नई, विजयवाड़ा, वड़ोदरा, भोपाल, तिरुपति, हुबली, इंफाल, अगरतला, उदयपुर, देहरादून और राजमुंदरी को 2022 से 2025 तक पट्टे पर देने के लिए फैसला किया गया है. राज्य मंत्री, नागरिक उड्डयन, जनरल वी.के. सिंह ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी है.
पहले से निजी कंपनियों को पट्टे पर दिए जा चुके हैं ये हवाई अड्डे
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत अपने आठ हवाईअड्डों का संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए लंबी अवधि के लिए उसे पट्टे पर निजी कंपनियों को सौंप दिया है. ये हैं इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली, छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, मुंबई, चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, लखनऊ, सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अहमदाबाद, मंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, गुवाहाटी, और तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा.
इससे होने वाली कमाई से देशभर में खोले जाएंगे नए हवाईअड्डे
मंत्री ने बताया कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के हवाई अड्डों को निजी क्षेत्र की दक्षता और निवेश का उपयोग करते हुए उनके बेहतर प्रबंधन के लिए सार्वजनिक हित में पट्टे पर दिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य और यात्री पीपीपी के तहत पट्टे पर हवाईअड्डे का संचालन, प्रबंधन और विकास करने वाले निजी भागीदारों द्वारा बनाई गई आधुनिक हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के अंतिम लाभार्थी हैं. उन्होंने कहा कि एएआई को पट्टे पर दिए गए हवाईअड्डों से मिलने वाले राजस्व का इस्तेमाल मुल्कभर में हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे के विकास में भी किया जाता है.
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