IMF On USCIRF Report On India: USCIRF ने अपने रिपोर्ट में भारत सरकार की तुलना अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे "सत्तावादी शासन" से की थी. अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की टिप्पणी पर IMF ने प्रतिक्रिया दी है.
Trending Photos
IMF On USCIRF Report On India: इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन (IMF) ने गुरुवार को भारत पर USCIRF की इंटरनेशनल धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट की कड़ी निंदा की. धार्मिक निगरानी संस्था USCIRF पर भारत की वैश्विक छवि को धूमिल करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. अब आईएमएफ ने दावा किया कि धार्मिक निगरानी संस्था ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे, जीवंत नागरिक समाज और बहुलवाद की अनदेखी की.
दरअसल, रिपोर्ट में USCIRF ने भारत सरकार की तुलना अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे "सत्तावादी शासन" से की थी. अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की टिप्पणी पर IMF ने प्रतिक्रिया दी है.
IMF ने सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर पोस्ट करके लिखा, "IMF संयुक्त राज्य अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट की कड़ी निंदा करता है. अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे सत्तावादी शासनों के साथ भारत को लेबल करने के USCIRF की कोशिश भारत के लोकतांत्रिक ढांचे, जीवंत नागरिक समाज और बहुलवादी इतिहास की अनदेखी करते हैं. यह गलत उदाहरण USCIRF की विश्वसनीयता और भारत के धार्मिक स्वतंत्रता परिदृश्य की समझ को कमजोर करता है."
IMF strongly condemns the USCIRF'S International Religious freedom report. USCIRF's efforts to label India alongside authoritarian regimes like Afghanistan, Cuba, North Korea, Russia, and China overlook India's democratic framework, vibrant civil society, and pluralistic history.… pic.twitter.com/jHYGY6lPqp
— Indian Minorities Foundation (@Minoritiesfdn) June 27, 2024
इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यूएससीआईआरएफ ने एक बार फिर खुद को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के गलत सपोर्ट में पाया है. अपनी हालिया रिपोर्ट में एक बार फिर भारत को 'विशेष चिंता का देश' (CPC) के रूप में नामित करने की कोशिश की गई है."
IMF ने आगे कहा, "USCIRF की विश्वसनीयता और मकसदों पर कई सवाल उठते हैं. इसमें से सबसे प्रासंगिक सवाल यह है कि यदि वह खुद को सद्भाव के साधन के बजाय संघर्ष के एजेंट के रूप में ऑपरेट कर रहा है तो गहन जांच की जरूरत है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे देशों के साथ मिलाने की USCIRF की कोशिश गलत प्रकृति को एक्सपोज करती है. यह पहचानने में उसकी विफलता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के पास न सिर्फ एक मजबूत संवैधानिक ढांचा है, बल्कि एक जीवंत नागरिक समाज भी है और बहुलवाद का एक लंबा इतिहास है."
"इंडियन फेडरेलिज्म कानून जैसे मामलों पर राज्यों को स्वायत्तता प्रदान करता है. अलग-अलग इलाकों को एक तरीके से कानून बनाने और लागू करने की कॉन्स्टिट्यूशनल फ्रीडम देता है. गैर-लोकतांत्रिक देशों के साथ दोषपूर्ण तुलना गलत है. भारत के धार्मिक स्वतंत्रता परिदृश्य की सूक्ष्म वास्तविकता को समझने में विफलता और वास्तविक को बदनाम करना वर्ल्ड लेवल पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में चिंताएं हैं. अपने लिमिट्स से परे भारत की क्षेत्रीय अखंडता को अनस्टेबल करना, इस मुद्दे को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश करना, धार्मिक स्वतंत्रता ( Religious Freedom ) पर USCIRF की टिप्पणियां उसके मिशन में मौजूद सभी गलतियों को समराइज करती हैं."