तीन दिन के भारत दौरे पर पहुंचे सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान भारत के अपने पहले दौरे पर आए हैं.
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नई दिल्लीः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इतवार को सऊदी अरब के अपने समकक्ष फैसल बिन फरहान अल सऊद के साथ अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर विचार-विमर्श किया और रक्षा, व्यापार, निवेश और ऊर्जा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने पर मंथन किया. सऊदी नेता के साथ व्यापक बातचीत में, जयशंकर ने भारत से खाड़ी देश की यात्रा पर प्रतिबंधों में और ढील देने का आह्वान किया और कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय समुदाय को दिए गए समर्थन के लिए देश की सराहना की. अल सऊद शनिवार शाम तीन दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचे हैं. महामारी फैलने के बाद से यह सऊदी अरब के किसी मंत्री की पहली भारत यात्रा है.
तीन दिन के भारत दौरे पर सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि दोनों मंत्रियों ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान भारत के अपने पहले दौरे पर आए हैं. उनका स्वागत करके प्रसन्नता हुई.’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित सभी मुद्दों और आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की. मंत्रालय के मुताबिक, “दोनों मंत्रियों ने ’रणनीतिक भागीदारी परिषद समझौते’ के क्रियान्वयन की समीक्षा की, जिसपर अक्टूबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर हुए थे.” उसने कहा कि दोनों पक्षों ने समझौते के तहत हुई बैठकों और प्रगति पर संतोष व्यक्त किया.
जी-20 और खाड़ी सहयोग परिषद जैसे बहुपक्षीय मंचों पर हुई चर्चा
मंत्रालय ने कहा, “दोनों पक्षों ने व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, संस्कृति, दूतावास मुद्दों, स्वास्थ्य देखभाल और मानव संसाधन में अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए और कदम उठाने पर चर्चा की.” दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र, जी-20 और खाड़ी सहयोग परिषद जैसे बहुपक्षीय मंचों पर द्विपक्षीय सहयोग पर भी चर्चा की. सऊदी विदेश मंत्री का सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने का कार्यक्रम है. वह इस यात्रा पर ऐसे वक्त आए हैं, जब भारत, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद के घटनाक्रमों को लेकर सभी ताकतवर देशों के संपर्क में है.
अफगानिस्तान के हालात पर हुई चर्चा
जयशंकर और अल सऊद के बीच वार्ता का मुख्य विषय अफगानिस्तान में हालात था. क्षेत्र का एक प्रमुख राष्ट्र होने के नाते काबुल में घटनाक्रमों पर सऊदी अरब का रुख मायने रखता है क्योंकि कतर और ईरान समेत खाड़ी क्षेत्र के अनेक देश अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पहले अफगान शांति प्रक्रिया में भूमिका निभा रहे थे. खाड़ी क्षेत्र में, भारत अफगानिस्तान में घटनाक्रमों को लेकर संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर और ईरान के साथ संपर्क में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन ‘‘समावेशी’’ नहीं हुआ है, लिहाजा नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं और इस परिस्थिति में उसे मान्यता देने के बारे में वैश्विक समुदाय को ‘‘सामूहिक’’ और ‘‘सोच-विचार’’ कर फैसला करना चाहिए.
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