हिजाब वाली छात्राओं पर बैन लगाने वाले टीचर को अवार्ड; विरोध के वाद रोका गया सम्मान
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हिजाब वाली छात्राओं पर बैन लगाने वाले टीचर को अवार्ड; विरोध के वाद रोका गया सम्मान

Karnataka Hijab Row:उडुपी जिले के गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के छात्रों के एक समूह ने आरोप लगाया था कि कॉलेज के प्रिंसिपल बी जी रामकृष्ण ने उन्हें हिजाब पहनकर कॉलेज कैंपस में एंट्री करने पर रोक लगा दिया है. इसके बाद प्रदेश समेत देशभर में हिजाब विवाद लेकर काफी विरोध हुआ था. कुछ दिन पहले मौजूदा कांग्रेस सरकार ने प्रिंसिपल बी जी रामकृष्ण को शिक्षक दिवस के मौके पर "सर्वश्रेष्ठ शिक्षक" पुरुस्कार देने का ऐलान किया था. अब सरकार ने मुस्लिम समुदाय के विरोध के बाद इस फैसले फिलहाल रोक लगा दिया है. 

 

हिजाब वाली छात्राओं पर बैन लगाने वाले टीचर को अवार्ड; विरोध के वाद रोका गया सम्मान

Hijab Row: कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम समुदाय के भारी विरोध के बाद आज गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल बी जी रामकृष्ण को दिए जाने वाला "सर्वश्रेष्ठ शिक्षक" पुरस्कार को वापस ले लेने का फैसला किया है. कर्नाटक शिक्षा विभाग के सूत्रों ने गुरुवार, 5 सितंबर को यह जानकारी दी. एक सूत्र ने बताया, "सरकार ने पहले  बी जी रामकृष्ण के नाम का ऐलान किया था, लेकिन अब इसे वापस ले लिया गया है." हालांकि, प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने कहा कि पुरस्कार वापस लेने पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. फिलहाल इसे रोक दिया गया है. इस पर आखिरी फैसला कमेटी लेगी.

दरअसल, उडुपी जिले के कुंदापुरा में रामकृष्ण को आज शिक्षक दिवस के मौके पर यह अवार्ड दिया जाना था, लेकिन मुस्लिम समुदाय के कुछ कार्यकर्ताओं और नेताओं ने  प्रिंसिपल के खिलाफ कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसके बाद सरकार ने उन्हें यह पुरस्कार नहीं देने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि टीचर के खिलाफ गुस्से की वजह दो साल पहले राज्य में हिजाब विवाद के दौरान उनका रवैया है.

प्रिंसिपल पर क्या है आरोप?
रामकृष्ण पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर हिजाब पहनने वाली मुस्लिम छात्राओं को क्लास में एंट्री करने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद प्रदेश समेत देशभर में हिजाब पर काफी विवाद हुआ था. कुछ दिन पहले ही स्टेट गवर्नमेंट की तरफ से बी जी रामकृष्ण को "सर्वश्रेष्ठ शिक्षक" का पुरुस्कार देने की घोषणा की थी, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के कई संगठनों ने इसके विरोध में सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया था. इसकी अगुआई डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने की थी.  

 शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने क्या कहा?
वहीं, इस मामले पर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने गुरुवार को कहा कि प्रिंसिपल सिर्फ सरकारी आदेशों का पालन कर रहे थे. मंत्री बंगारप्पा ने कहा, "जिस तरह से उन्होंने बच्चों के साथ व्यवहार किया, वह मुद्दा है. अगर कोई समस्या नहीं है तो हम फैसला करेंगे.' यदि वह किसी सरकारी आदेश का पालन कर रहा था, तो उसे एक निश्चित तरीके से किया जाना था. अगर यह एक निश्चित तरीके से नहीं है तो इस पर यकीनन सवाल उठाया जाएगा. विभाग जांच करेगा. यह फैसला मैं नहीं करूंगा, समिति इस संबंध में निर्णय लेगी."

क्या सरकार बदले की सियासत कर रही है?
क्या सरकार प्रतिशोध की राजनीति कर रही है? इस सवाल का जवाब देते हुए मंत्री बंगारप्पा ने कहा, "इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें. कोई प्रतिशोधात्मक राजनीति नहीं हो रही है.जब कोई पुरस्कार के लिए आवेदन करता है तो योग्य उम्मीदवारों के नामों के चयन के लिए एक जिला कमेटी होती है. समिति इसे मुख्य कार्यालय को भेजेगी और मुख्य कार्यालय में इसकी जांच के लिए एक और समिति है. हालांकि,  इस विशेष मुद्दे में उन्होंने कुछ बातों को नजरअंदाज कर दिया. एक बार जब पुरस्कार के संबंध में मुद्दा सामने आया, तो स्पष्टता के लिए निर्णय को कुछ समय के लिए रोक दिया गया."

 

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