Web Novel: 'कातिल'..106 लोगों के हत्यारे एक कंप्यूटर इंजीनियर की दास्तान, देखिए Episode-3
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Web Novel: 'कातिल'..106 लोगों के हत्यारे एक कंप्यूटर इंजीनियर की दास्तान, देखिए Episode-3

Zee Salaam पर पढ़िए और सुनिए डिजिटल दुनिया का पहला वेब नॉवेल 'कातिल…' देखिए Episode-3...

 देखिए 'कातिल' का Episode-3

(अभी तक…करण ग्रोवर और उसका दोस्त महेंद्र सिंह बना लिंकंस इन अंडरग्राउंड स्टेशन पर थे जब पहली बार करण को कुछ गड़बड़ी का अहसास हुआ...अब आगे)

`चल, पहले डॉक्टर के पास चलते हैं?` बना बोला।

`नहीं, सीधे घर...`

`अच्छा, चल देखते हैं...`

`घर चल यार...` बना ने जिद नहीं की। मुझे मालूम है अब जब तक मैं ठीक नहीं हो जाऊंगा या उसे सब सच नहीं बताऊंगा...उसे दुनिया में किसी चीज से कोई मतलब नहीं होगा। वो दोस्ती के लिए जान ले सकता है। मेरे लिए जान दे सकता है। इसके लिए मुझे बना कि किसी गर्लफ्रेंड से पूछने की जरूरत नहीं है। हमारी दोस्ती ऐसी ही हुई थी। पहली ही बार में वो मेरे लिए जान देने पे उतारू हो गया था, पागल..! हां, पहली ही बार में....बार में ही तो हमारी दोस्ती हुई थी न। एकदम फिल्मी टाइप की दोस्ती....। वो किसी लड़की के गर्लफ्रेंड न बन पाने या बनकर हाथ से निकल जाने का गम सेलीब्रेट करने आया था। और मैं शायद यूं ही...मेरे बाप की बरसी थी। डैड...आईलवयू...मिसयू सो मच...। वो अक्सर मुझे यहीं लाते थे। 

`वन फॉर द रोड...` रोड पे कौन साला दारू पीता है...?

वो बार भी क्या था, सब्जी बाजार था एकदम दिल्ली हाट के माफिक। हर स्टूल पर दोपहर से कोई न कोई लदा रहता था। वीकेंड पर तो अमेरिकंस पी के टंकी हो जाते हैं। बना यहीं मिला था। साला, उसकी शक्ल देखकर ही मैं समझ गया था छिछोरा है....और वो छिछोरा भी सीधे मेरी टेबल पर ही आया था। जब तक मैं कुछ कहूं, वो छिछोरे मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर शुरू हो चुका था। शायद पहले से ही एकाध पैग ले चुका था। या बिना पीये ही उसके माहौल के सुरूर में था। 

`हाय ब्रो, ग्लैड टू मीट यू...आईएम बना...महेंद्रसिंह बना फ्रॉम इंडिया...सीनियर प्रोग्रामर माइक्रोसॉफ्ट...हाइली क्वालीफाइड परसन फ्राम माई नेटिव प्लेस...एंड यू..!!`

`लुक मिस्टर...वॉट यू कॉल यू बना...`

`महेंद्रसिंह बना, फ्रॉम इंडिया...हाइली क्वालीफाइड....बड़े भाई...`

`बड़े भाई, आज तुम्हारे छोटे भाई का दिल टूट गया...शी कान्ट लव मी ` जब तक में कुछ कह पाता, वो मेरी टांगों से लिपटकर-लिपटकर रोने लगा।

`यू आर लाइक माई बिग ब्रदर...` पता नहीं कि उसकी सुड़कती नाक से बचने के लिए या तमाशा बनने से बचने के लिए मैंने उसे उठाकर सामने वाली सीट पर बैठा दिया। उसके बाद वो धाराप्रवाह अपने बारे में, अपने फॉल इन लव के बारे में, परिवार के बारे में बताता रहा। बीच-बीच में मेरे पैरों पर बैठ जाता था। बड़े भाई...बड़े भाई की रट लगाता, मैं उसे जैसे-तैसे उठाकर सामने वाली कुर्सी पर बैठा पाता।

`यू आर लाइक माई बिग ब्रदर....` 15 मिनट में दसवीं बार बोलकर इस बार मेरे पैरों पर बैठने की जगह मेरे गले लग गया। मेरे अंदर कुछ पिघलने सा लगा। ऐसा लगा जैसे डैड से गले मिल रहा हूं। कुछ बात थी...डैड को आखिरी बार जब में गले मिला था तब वो भी कैंसर की लास्ट स्टेज पर थे। हॉस्पिटल में...ऑपरेशन के लिए जाते समय उन्होंने हाथ हिलाया था। बस..., ठीक वैसे ही जैसा ममा....खैर, इस बात पर फिर कभी अभी तो इस छिछोरे की बात कर रहा था। उसकी नौटंकी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। 

`बड़े भाई मैं तुमसे कुछ नहीं पूछूंगा, लेकिन आपके आंसू बड़े कीमती हैं....इन्हें जमीन पर मत गिराइये...ब्रो मत रो...` बड़े अधिकार से मेरे आंसू पोंछ रहा था। मेरा दिल चाह रहा था फफककर रो पड़ूं और उसके गले लग जाऊं...कमबख्त, देसी अमेरिकंस....। लेकिन फिल्म अभी बाकी थी मेरे दोस्त..

हमारी दोस्ती की परीक्षा अभी बाकी थी मेरे दोस्त...। 

जब उस साढ़े छह फुटिया अमेरिकन ने अमरीश पुरी की तरह हा..हा..करते हुए मुझे धक्का देकर मेरी कुर्सी छीनी और वापस जाने लगा तो मरियल सा बना उससे भिड़ गया था। बाकी की कहानी तो आपने कई फिल्मों में देखी ही होगी सो यहां रिपीट करने का कोई फायदा नहीं है। पहले मेरी ही आंख खुली थी। हम बार के बाहर पड़े थे। वो सूजे गालों के साथ और मैं अपने फटे कोट के साथ....। बेहोशी में भी उसके मुंह से साले...हरामजादे...बड़े भाई की कुर्सी लौटा...जैसे डायलॉग निकल रहे थे। उसके हाथों में छह फुटिया की शर्ट औऱ पेंट का कपड़ा फंसा हुआ था। काफी जोर आजमाइश हुई थी। एक बार शायद वो कुर्सी छीनकर लाया भी था। फिर पूरी गैंग ने घेरकर जमकर धुलाई की थी। मुझे एक भी हाथ नहीं पड़ने दिया था बना ने....। डैड ऐसे ही एक बार मोहल्ले में भिड़े थे...जब कुछ लड़कों ने मेरा बैग छिनकर मुझे मारा था। उनके जाने के बाद तो बस अकेला तन्हा सा ही था...। हां, मतलब मिशेल को छोड़कर....।    

`बड़े भाई, घर है या मेरे हॉस्टल चलोगे...?` बना उस रात मेरे घर आ गया। बाद में उसका सामान। उसके साथ ने मुझे डैड के गम से निकलने में मदद दी थी। फिर मिशेल मेरी जिंदगी में आई। बना मेरे ही ऑफिस में था, बॉस थी मिशेल उसकी...। मस्त जिंदगी चल रही थी। एक दोस्त और एक काफी कुछ इंडियंस सी अमेरिकन दोस्त...हां, मतलब दोस्त से कुछ ज्यादा ही...इंडियन लड़कियों से कुछ ज्यादा ही पसेसिव...बाप रे...! भोली-प्यारी औऱ बिलकुल मां जैसी बात-बात पर रोने वाली...।

भगवान क्या खेल खेलने वाला था मेरे साथ...!

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