जानें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री मोहन यादव को क्यों चुना गया
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जानें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री मोहन यादव को क्यों चुना गया

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र तोमर और कैलाश विजयवर्गीय के नाम चर्चाओं मे रहते हुए भी बीजेपी ने सीएम की कमान नए चेहरे मोदन यादव को सौप दी है. जानें ऐसे कौन-से फैक्टर हो सकते हैं, जिनकी वजह से मोहन यादव को मुख्यमंत्री चुना गया.  

 जानें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री मोहन यादव को क्यों चुना गया

बीजेपी ने कल मध्य प्रदेश के नए सीएम के नाम की घोषणा कर सबको चौका दिया था. मध्य प्रदेश की कमान मोहन यादव को सौपी गई है. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी ने यह दाव लोकसभा चुनाव को लेकर और एमपी में यादव समुदाय को अपनी तरफ करने के लिया है. एमपी में मोहन यादव के जरिए बीजेपी ने न सिर्फ एमपी के बल्कि बिहार और यूपी के भी यादव समुदाय को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है.   

विधायकों की बैठक से पहले शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र तोमर और कैलाश विजयवर्गीय के नाम चर्चाओं में थे, लेकिन बैठक में नए नाम मोहन यादव को चुन लिया गया. जिसके बाद सभी के मन में यह सवाल है कि कैसे मोहन यादव पार्टी के तमाम दावेदार को पीछे छोड़ते हुए सीएम पद पर हैं? 

ओबीसी जाति से
मोहन यादव ओबीसी समुदाय से आते हैं. जिसके जरिए बीजेपी एमपी के साथ-साथ बिहार, यूपी और हरियाणा के यादव समुदाय के मतदाताओं को सियासी संदेश देने की कोशिश की है. हालांकि शिवराज सिंह चौहान, राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल भी ओबीसी समुदाय से आते हैं, लेकिन यादव एमपी के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी बीजेपी के लिए मुफीद साबित हो सकते हैं. क्योकि यह ज्यादा संख्या वाले पिछड़े वर्ग के यादव समुदाय से हैं. 

RSS से पुराना ताल्लुक 
मोहन यादव ने अपनी स्टूडेंट राजनीति के समय से ही उज्जैन के आरएसएस से जुड़े हुए थे और तमाम कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था. यादव 1993 से 1995 तक उज्जैन शाखा के कार्यवाह बनें और 1996 में नगर कार्यवाह भी बने. इसलिए वह संघ को अच्छे से जानते हैं. 

मालवा-निमाण से आते हैं.
यादव दक्षिण उज्जैन के मालवा-निमाण से आते हैं, जहां से 66 विधानसभा सीटें आती हैं जबकि शिवराज सिंह चौहान के सेंट्रल मध्य प्रदेश से आते हैं, जहां से महज 29 विधानसभा सीटें आती हैं. मालवा एमपी का पावर सेंटर है, जहां बीजेपी को 66 सीटों में से 48 सीटों पर वोट मिले हैं. 

यादव समुदाय को साधना 
नीतीश सरकार ने बिहार में जातिगण जनगणना कराकर सियासी बिसात बढ़ा दी है. वही यूपी में अखिलेश यादव कांग्रेस और आरएलडी दलों के साथ सियासत मजबूत करने में लगे हुए हैं. बीजेपी मोहन यादव के जरिए यूपी और बिहार के यादव समुदाय को साधने की कोशिश कर रहे हैं.

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