आज़म की ख़ान की असेंबली रूक्नियत (सदस्यता) रद्द कर दी गई है. 28 अक्टूबर को असेंबली स्पीकर सतीश महाना ने रामपुर विधानसभा सीट को ख़ाली करने का ऐलान कर दिया है. उनके इस फैसले पर इंडिया मुस्लिम जमात के क़ौमी सद्र मौलाना शहाबुद्दीन का बड़ा बयान सामने आया है.
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Azam Khan: समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडरान में शुमार किए जाने वाले आज़म ख़ान की असेंबली रूक्नियत को रद्द कर दिया गया है. इससे एक दिन पहले ही उन्हें हेट स्पीच मामले में 3 साल की सज़ा सुनाई गई थी. हालांकि सज़ा के कुछ देर बाद ही आज़म ख़ान को ज़मानत भी मिल गई थी. 28 अक्टूबर को असेंबली स्पीकर सतीश महाना ने उनकी रूक्नियत रद्द कर दी थी. सज़ा की ऑफिशियली कापी मिलते ही असेंबली स्पीकर की तरफ से आज़म ख़ान की रूक्नियत रद्द करते हुए रामपुर असेंबली सीट को ख़ाली कर दिया गया है. अब जल्दी ही रामपुर असेंबली सीट पर उपचुनाव होगा.
असेंबली स्पीकर के इस फैसले का आज़म ख़़ान के हामियों समेत कई दूसरे लोगों ने मुख़ालेफ़त की. इसी कड़ी में बरेली की दरगाह आला हज़रत की तंज़ीम ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के क़ौमी सद्र मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी बरेलवी का भी बयान सामने आया है. उन्होंने असेंबली स्पीकर सतीश महाना के इस फैसले को लेकर कहा कि यह इंसाफ पर मबनी नहीं है. उन्होंने कहा कि आज़म ख़ान को अवाम ने चुनकर असेंबली भेजा है. मौलाना ने कहा कि आज़म ख़ान इस वक़्त मुश्किल में हैं और समाजवादी पार्टी के सद्र अखिलेश यादव को उनके साथ खड़े होना चाहिए.
10वीं बार बने थे एमएलए
समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर आज़म ख़ान ने हाल ही में हुए 2022 असेंबली इलेक्शन में 10वीं बार रामपुर सीट से जीत हासिल की थी. एमएलए चुने जाने पर आज़म ख़ान ने रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था. इस साल जून में, बीजेपी के घनश्याम लोधी ने 42,000 से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल कर रामपुर पार्लियामानी सीट छीन ली थी. लोधी ने पार्टी लीडर आज़म ख़ान के क़रीबी माने जाने वाले एसपी उम्मीदवार मोहम्मद आसिम राजा को हराया था. उत्तर प्रदेश असेंबली के लिए चुने जाने के बाद आज़म ख़ान के इस्तीफे की वजह से उपचुनाव हुआ था.
2019 में पीएम, सीएम और अफसरों को लेकर दिया था बयान
आज़म ख़ान ने 2019 लोकसभा इलेक्शन के दौरान मिलक कोतवाली इलाक़े के खातानगरिया गांव में जलसे को ख़िताब के दौरान एक बयान दिया था. इस ख़िताब में उन्होंने पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी के लिए क़ाबिले ऐतराज़ अल्फाज़ का इस्तेमाल करने और ज़िला इंतेज़ामिया के सीनियर अफ़सरों को भला-बुरा कहने पर भड़काऊ तक़रीर करने के इल्ज़ाम में मुक़दमा दर्ज किया गया था.
अब्दुल्लाह आज़म भी क़रार दिए जा चुके हैं नाअहल
यहां यह भी बता दें कि आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्ला आज़म को 2020 में असेंबली की रूक्नियत से नाअहल क़रार दिया गया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहले फैसला सुनाया था कि अब्दुल्ला आज़म चुनाव लड़ने के अहल( योग्य) नहीं थे क्योंकि उनकी उस वक़्त उम्र 25 साल से कम थी, जब उन्होंने 2017 में स्वार असेंबली इलाक़े से एसपी उम्मीदवार के तौर पर अपना पर्चा दाख़िल किया था.