देवबंद/सैयद उवैस अली: मंगलवार को हुई जमीयत उलेमा-ए-हिंद की मीटिंग में एक बार फिर मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) को संगठन का अध्यक्ष चुन लिया गया है. यह फैसले सभी इकाइयों की जानिब से सर्वसम्मति से लिया गया है. इस दौरान मीटिंग में मुसलमानों की शिक्षा के इलावा कई अहद मुद्दों पर भी चर्चा की गई. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी पढ़ें: Rahe Najat: जानिए क्या हैं इस्लाम में पड़ोसियों के हुकूक, देखें VIDEO


"शिक्षा के हथियार से करना होगा मुकाबला"
मीटिंग मौलाना मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश में जिस तरह धार्मिक विचारधारा फैल चुकी है उस का मुक़ाबला किसी हथियार या जंग से नहीं किया जा सकता. इसके साथ मुक़ाबले करने का रास्ता सिर्फ आला तालीम है. इसलिए अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिला कर इस क़ाबिल बना दें कि वह अपनी शिक्षा और हुनर के हथियार से इस विचारधारा की लड़ाई में अपने प्रतिद्वंदी को परास्त कर सके और वह कामयाबी की मंज़िल को हासिल कर सके. 


यह भी पढ़ें: आयशा केस के बाद मुस्लिम समाज में दहेज के खिलाफ आवाज हुई बुलंद, मस्जिदों से किया गया यह ऐलान


"शिक्षा के क्षेंत्र में दलितों से भी पीछे हैं मुसलमान"
मौलाना ने कहा आज़ादी के बाद से ही आने वाली सभी सरकारों ने एक निर्धारित नीति का पालन करते हुए मुसलमानों को शिक्षा के क्षेत्र में पीछे कर दिया है. सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में दलितों से भी पीछे हैं. मौलाना ने सवाल किया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति क्यों पैदा हुई और इस के क्या कारण हो सकते हैं इस पर हमें गंभीरता से गौर करने की आवश्यकता है.


यह भी पढ़ें: BJP का झंडा थामे मुस्लिम बुजुर्ग लगा रहा है 'जय श्री राम' के नारे, यकीन न हो तो देखें Video


"सरकारों ने मुसलमानों को शिक्षा से दूर रखा"
मौलाना ने कहा कि भी एक सच्चाई है कि मुसलमानों ने खुद को जान बूझ कर शिक्षा से अलग नहीं किया. क्यूंकि अगर उन्हें शिक्षा से लगाव न होता तो वह मदरसे क्यों खुलवाते. दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई यह भी है कि आज़ादी के बाद सत्ता में आने वाली सरकारों ने मुसलमानों को शिक्षा से दूर रखा है. उन्होंने कहा कि शायद सरकारों ने यह बात महसूस कर ली थी कि अगर मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढे़ तो अपनी काबिलियत के बल पर वह तमाम उच्च पदों को हासिल कर लेंगे. 


यह भी पढ़ें: चौथी बार UP Sunni Wakf Board के चेयरमैन बने जुफर फारूकी, चुनाव में मिले 6 वोट


"पेट पर पत्थर बांधकर बच्चों को पढ़ाएं"
मौलाना मदनी ने कहा कि हम एक बार फिर अपनी यह बात दोहराना चाहेंगे कि मुसलमान पेट पर पत्थर बांध कर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएं और जीवन में कामयाबी के लिए हमारी नई नस्ल को शिक्षा का असली हथियार बनायें. हमें ऐसे स्कूलों और कालेजों की बहुत ज़रूरत है. जिनमें धार्मिक पहचान के साथ-साथ हमारे बच्चे उच्च शिक्षा भी बिना किसी रुकावट के हासिल कर सकें. उन्होंने राष्ट्र के उच्च पदस्थ लोगों से आह्वान किया कि वह ऐसे स्कूल खुलवाएं जहां बच्चे अपनी धार्मिक पहचान के साथ आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकें. हर शहर में कुछ मुसलमान मिलकर कॉलेज खोल सकते हैं. 


यह भी पढ़ें: कौन होगा उत्तराखंड का अगला CM? ये दो नाम हैं रेस में सबसे आगे


"बदकिस्मती है मुसलमान शिक्षा के बारे में नहीं सोचता"
मौलाना ने कहा कि बदक़िस्मती है कि मुसलमान इस पर गौर नहीं करते. दूसरी चीज़ों पर तो गौर करने में दिलचस्पी होती है लेकिन शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं करते. यह हमें अच्छी तरह समझना होगा कि देश की वर्तमान हालात का मुक़ाबला सिर्फ और सिर्फ शिक्षा के द्वारा ही किया जा सकता है.


ZEE SALAAM LIVE TV