मौलाना महमूद मदनी बने जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष, तालिबान को लेकर कही बड़ी बात
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मौलाना महमूद मदनी बने जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष, तालिबान को लेकर कही बड़ी बात

उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान सरकार इस्लामी मूल्यों की रोशनी में इंसानी हुकूक का सम्मान करेगी और भारत के साथ संबंधों को मधुर और स्थाई बनाने की हर मुमकिन कोशिश करेगी.

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देवबंद/सैयद उवैस अली: जमीयत उलेमा ए हिंद की कार्यकारिणी की बैठक में इत्तेफाक राये से मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mehmood Madani) को जमीयत उलेमा हिंद का अध्यक्ष चुना गया और अफगानिस्तान में नव गठित तालिबान सरकार को लेकर भी जमीअत उलमा ने अपना राये का इजहार किया है. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान सरकार इस्लामी मूल्यों की रोशनी में इंसानी हुकूक का सम्मान करेगी और भारत के साथ संबंधों को मधुर और स्थाई बनाने की हर मुमकिन कोशिश करेगी.

शनिवार को दिल्ली में मौजूद जमीअत उलमा हिंद के मुख्यालय में आयोजित बैठक में देश की वर्तमान परिस्थितियों, अफगानिस्तान की वर्तमान राजनीतिक स्थितियों, समाज सुधार, किसानों के आंदोलन और साथ ही दूसरे महत्वपूर्ण कौमी व सामाजिक विषयों पर विस्तार से विचार विमर्श हुआ. जमीअत उलमा ए हिंद की अध्यक्षता के लिए सभी 21 राज्यों की कार्यकारिणी की तरफ से सहमति वाला मौलाना महमूद असद मदनी के नाम का प्रस्ताव आया. जिसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने कुबूल करते हुए अगले टर्म की अध्यक्षता के लिए मौलाना महमूद मदनी के नाम पर मुहर लगा दी.

किसानों के आंदोलन को कुचलना चाहती है सरकार-
मौलाना महमूद मदनी ने अपने खिताब में कहा कि लोकतंत्र की ताकत यह है कि हर कोई अपनी मांगों और समस्याओं कोके उठाने का हक रखता है. किसानों को भी अपने हक के लिए आंदोलन करने का हक है. लेकिन यह देखा गया है कि वर्तमान सरकार ऐसे आंदोलनों को एड्रेस करने के बजाए उसे कुचलने पर विश्वास रखती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में उनका यह मूलभूत अधिकार स्वीकार किया है.

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