Maulana Mehmood Madani: मौलाना महमूद मदनी ने दिल्ली के रामलीला मैदान से संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक, इस्लाम और इस्लामोफोबिया के लेकर बड़ी बाते कही हैं. पढ़िए
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Mahmood Madani: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने वालों कों को सज़ा देने के लिए अलग से कानून बनना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने इस्लाम को लेकर कहा कि इस्लाम सबसे पुराना मज़हब है और हिंदुस्तान जितना मोहन भागवत का है उतना ही महमूद मदनी का भी है. इस्लाम कहीं बाहर से नहीं आया.
दिल्ली के रामलीला मैदान में संगठन के महाधिवेशन को खिताब करते कर रहे थे. इस दौरान जमीयत ने हिंदुस्तान में हेट कैंपेन और इस्लामोफोबिया में इज़ाफे समेत कई प्रस्ताव पास किए हैं. प्रोग्राम को खिताब करते हुए मौलाना महमूद मदनी ने कहा इस्लामोफोबिया के बढ़ते मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए महमूद मदनी ने कहा कि इस्लाम कहीं बाहर से नहीं आया. इस्लाम की पैदाइश इसी जमीन पर हुई है और इस्लाम सबसे पुराना धर्म है.
महमूद मदनी ने अल्पसंख्यकों का बचाव करते हुए कहा कि उनके खिलाफ बढ़ रही हिंसा के मुजरिम को सज़ा देने के लिए एक अलग कानून बनना चाहिए. मुसलमानों के खिलाफ नफरत और उकसावे के मामले हाल के दिनों में खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है. मुसलमानों के खिलाफ हो रही घटनाओं पर सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए मदनी ने कहा कि सबसे ज्यादा दुख की बात यह है कि तमाम घटनाएं सरकार की आंखों के सामने हो रही हैं लेकिन वह खामोश है. उन्होंने कहा कि सरकार को देश का अखंडता और सकारात्मक छवि पर काम करने की जरूरत है.
महमूद मदनी ने मुसलमानों को इस देश का हिस्सा ना मानने वालों को लेकर कहा कि यह देश जितना नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का है उतना ही महमूद मदनी का है.
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