MP News: छात्रों को हिजाब पहनने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, या धागा पहनने पर रोक नहीं लगा सकते: मध्य प्रदेश HC
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MP News: छात्रों को हिजाब पहनने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, या धागा पहनने पर रोक नहीं लगा सकते: मध्य प्रदेश HC

MP News: एमपी में छात्राओं को स्कार्फ पहनने के लिए मजबूर करने वाले स्कूल के प्रशासकों को हाईकोर्ट ने बेल दे दी है. इसके साथ ही उन्हें नसीहत भी दी है. पढ़ें पूरी खबर

MP News: छात्रों को हिजाब पहनने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, या धागा पहनने पर रोक नहीं लगा सकते: मध्य प्रदेश HC

MP News: बुधवार को मध्य प्रदेश कोर्ट ने एक स्कूल के प्रशासकों को बेल दे दी है. इन पर आरोप था कि इन्होंने छात्राओं को स्कार्फ पहनने के लिए मजबूर किया. 31 मई को दमोह में गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल के 11 सदस्यों के खिलाफ इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) और किशोर न्याय अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.

क्या है मामला?

इस पूरे विवाद ने तब जन्म लिया जब स्कूल के प्रशासन ने 10वीं और 12वीं में टॉप करने वाली छात्राओं के पोस्टर्स लगाए. इन पोस्टर्स में सभी छात्राओं ने स्कार्फ लगाया हुआ था. हालांकि इनमें से 5 छात्राएं मुसलमान नहीं थीं. ऐसा देख पेरेंट्स भड़क गए और स्कूल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी.

कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की न्यायाधीश पीठ ने समिति के सदस्यों आसफा शेख, अनस अतहर और रुस्तम अली को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा,"आवेदक उस अपराध को दोबारा नहीं करेंगे जिसमें उन्हें जमानत पर रिहा किया जा रहा है. उन्हें अपने धर्म की आवश्यक चीजें जैसे पवित्र धागा (कलावा) पहनना और माथे पर तिलक लगाने से नहीं रोकना चाहिए. वे अन्य धर्म के छात्रों को ऐसी कोई सामग्री या भाषा पढ़ने/अध्ययन करने के लिए बाध्य नहीं करेंगे जो मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित या या अप्रूव्ड न हो."

उन्होंने आगे कहा,"अन्य धर्म यानी हिंदू और जैन आदि की छात्राओं को स्कूल परिसर या कक्षा कक्ष में कहीं भी सिर पर स्कार्फ (हिजाब) पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. यह निर्देशित किया जाता है कि वे इन सभी शर्तों का भी पालन करेंगे.''

जबरदस्की कुरान सिखाया गया

विवाद बढ़ने के बाद, कुछ छात्रों ने आरोप लगाया था कि शिक्षक उन्हें "कुरान सीखने के लिए मजबूर" करते थे और शुक्रवार को इसे पढ़ना जरूरी होता था. वहीं एक छात्र ने कहा था कि इलाके में कोई दूसरा स्कूल नहीं था इसी वजह से मजबूरी में हम इसी स्कूल में पढ़ रहे थे.

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