अपनी बीवियों से परेशान पतियों ने जिंदा पत्नियों का कराया पिंडदान; बोले- यादों से भी है नफरत
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अपनी बीवियों से परेशान पतियों ने जिंदा पत्नियों का कराया पिंडदान; बोले- यादों से भी है नफरत

Husbands offer Pinddan for their living wives in Mumbai: वास्तव फाउंडेशन नाम की एक संस्था हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह का आयोजन कराती है. संस्था का मानना है कि बहुत सारे पति अपनी पत्नियों के सताए हुए हैं और वह उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं. 

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः पितृपक्ष के मौके पर लोग अपने पूर्वजों और मरे हुए लोगों को पिंडदान करते हैं, लेकिन मुंबई में रविवार को एक अजीब-ओ-गरीब मामले देखने को मिला. मुंबई में बानगंगा टैंक के किनारे कई लोगों ने अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया. ये सभी ऐसे पत्नी पीड़ित पति थे, जिनका या तो तलाक हो चुका है या फिर उनके पारिवारिक विवाद को मामला कोर्ट में चल रहा है. यहां करीब 50 पत्नी पीड़ित पतियों ने अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान कराया है. इन सभी लोगों ने शादी की बुरी यादों और अनुभवों से छुटकारा पाने के लिए पूरे विधि-विधान के साथ अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया. इनमें से एक शख्स ने जहां मुंडन भी कराया है, वहीं बाकियों ने सिर्फ पूजा-पाठ में हिस्सा लिया है.

वास्तव फाउंडेशन करवाता है पत्नी पीड़ित पतियों की मदद 
दरअसल, ये पिंडदान का यह प्रोग्राम पत्नी पीड़ित पतियों की एक संस्था वास्तव फाउंडेशन की तरफ से मुंबई में आयोजित किया गया था. वास्तव फाउंडेशन के अध्यक्ष अमित देशपांडे ने बताया कि ये पिंडदान इसलिए किया गया है, क्योंकि ये सभी लोग अपनी पत्नियों के उत्पीड़न से लंबे समय से परेशान चल रहे थे. इनमें से ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जिनका या तो अपनी पत्नियों से तलाक हो चुका है या फिर वो अपनी पत्नी को छोड़ चुके हैं. मगर उनकी बुरी यादें और पुराने अनुभव उन्हें अभी भी परेशान कर रही थी. इन्ही बुरी यादों से मुक्ति के लिए ये आयोजन किया गया है.

बुरी यादों से छुटकारे के लिए पतियों ने किया ये धार्मिक अनुष्ठान 
उधर, पिंडदान करने वाले पतियों का मानना है की महिलाएं अपनी आजादी का फायदा उठाकर पुरुषों का शोषण करती हैं, लेकिन उनके आगे समाज में और कानून के समक्ष पुरुषों की सुनवाई नहीं होती है. अपनी पत्नियों के साथ उनका रिश्ता एक तरह से मर चुका है, इसलिए पितृपक्ष के मौके पर ये पिंडदान किया गया है, ताकि उनकी बुरी यादों से उन्हें छुटकारा मिल सके. वास्तव फाउंडेशन इस तरह का आयोजन हर साल देश के अलग-अलग शहरों में करवाता है, ताकि ऐसे पीड़ित पतियों को जो अपनी पत्नियों के उत्पीड़न को भुला नही पा रहे हैं. इससे उन्हें निजात दिलाई जा सके.

क्यों करते हैं पिडंदान 
गौरतलब है कि आजकल पितृपक्ष और श्राद्ध का महीना चल रहा है. इसमें लोग अपने मृत परिजनों का पिंडदान करते हैं. पितरों का पिंडदान इसलिए किया जाता है, ताकि उनकी पिंड की मोह माया छूट जाए और वो आगे अलौकिक यात्रा शुरू कर सके. उनकी आत्माओं को शांति मिले और अंत में मोक्ष की प्राप्ति हो जाए. 

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