Muzaffarnagar Riot: मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान हुई मुस्लिम शख्स की मॉब लिंचिंग मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.कोर्ट का कहना है कि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे.
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Muzaffarnagar Riot: एक स्थानीय अदालत ने 2013 के मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगों के दौरान कथित तौर पर एक हत्या के मामले में शामिल 10 आरोपियों को "पर्याप्त सबूतों के अभाव" के कारण बरी कर दिया है. घटना 8 सितम्बर 2013 की है, जब फुगाना के रहने वाले मोहम्मद उर्फ आशु (30) की लाठी और धारदार हथियारों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
आशु की पत्नी इमराना ने नजदीकी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था. अपनी शिकायत में उन्होंने कहा था, "जब हम बस स्टैंड की ओर जा रहे थे, आशु और मुझे भीड़ ने घेर लिया." इमराना ने आरोप लगाया कि गौरव, उसके पिता अमरपाल, रॉकी उर्फ डॉन, रतन, कपिल, सचिन, दिनेश, योगेश, अभिषेक, रूबी, मास्टर श्रीपाल और मनोज - सभी स्थानीय लोग - उस भीड़ का हिस्सा थे जिन्होंने आशु पर बेरहमी से हमला किया.
इस मामले में स्पेशनल इनवेस्टिगेटिव टीम बनाई गई थी. जिन्होंने एक आरोपी श्रीपाल को क्लीन चिट दे दी और बाकि 11 के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया. इस बीच एक अन्य आरोपी सचिन की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई.
मामले की जानकारी रखने वाले वकील शोराज मलिक ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया,"आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 147 (दंगा) के तहत मामला दर्ज किया गया था और दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने ये फैसला सुनाया है."
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2013 में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े अलग-अलग मामलों में कई लोगों को पहले ही अदालत से बरी किया जा चुका है, जिसका मुख्य कारण या तो अपर्याप्त सबूत या गवाहों का मुकर जाना है. 7 सितंबर की रात को बहावरी में डकैती और आगजनी के आरोपी सात लोगों को स्थानीय अदालत ने "सबूतों के अभाव" के कारण बरी कर दिया था, क्योंकि वादी समेत सभी गवाह मुकर गए थे.