UPSC Lateral Entry Mode: यूपीएससी में 45 पदों पर लेट्रल एंट्री को लेकर घमासान मचा हुआ है. विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार पर रिजर्वेशन सिस्टम को कमजोर करने का इल्जाम लगाया है. आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि लेट्रल एंट्री मोड क्या है? और इसे बनाने के पीछे सरकार का क्या मकसद है.
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Delhi News: लेटरल एंट्री मोड के जरिए से 45 सीनियर लेवल के अफसरों की भर्ती निकालर नरेंद्र मोदी सरकार ने सियासी हलचल मचा दी है. विपक्षी पार्टियों के कई नेताओं ने सरकार पर जमकर हमला बोला है और भारत में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए अवसरों की सुरक्षा करने वाली रिजर्वेशन सिस्टम को कमजोर करने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार की यह कदम भाजपा की सोची समझी साजिश है. भाजपा अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को महत्वपूर्ण सरकारी पदों से किनारे करने की कोशिश में है.
भाजपा की यह सुनियोजित साजिश; कांग्रेस
कांग्रेस नेता ने 'एक्स" पर पोस्ट में कहा, "संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली बीजेपी ने रिजर्वेशन पर दोहरा हमला किया है! एक सुनियोजित साजिश के तहत भाजपा जानबूझकर नौकरियों में ऐसी भर्तियां कर रही है ताकि एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को आरक्षण से दूर रखा जा सके."
संविधान को तार-तार करती भाजपा ने किया आरक्षण पर डबल वार !
पहला, आज मोदी सरकार ने केंद्र में Joint Secretary, Directors and Deputy Secretary के कम से कम 45 पद Lateral Entry द्वारा भरने का विज्ञापन निकाला है। क्या इसमें SC,ST, OBC एवं EWS आरक्षण है?
सोची समझी साज़िश के तहत भाजपा…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 17, 2024
"उपेक्षित और गरीब वर्गों के अधिकारों को लूटा जा रहा है"; तेजस्वी
वहीं, कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी दलों में से एक लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने रिजर्वेश सिस्टम और डॉ. बी.आर. द्वारा तैयार किए गए संविधान पर एक "गंदा मजाक" बताते हुए सरकार इस कदम की निंदा की. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि लेट्रल एंट्री का विकल्प चुनकर, सरकार प्रभावी रूप से इन समुदायों को शासन में उनकी उचित हिस्सेदारी से वंचित कर रही है.
तेजस्वी यादव ने एक्स पर कहा, "पिछले चुनाव में पीएम बिहार में उनकी पिट्ठू पार्टियां और उनके नेता बड़े जोर-शोर से दावा करते थे कि रिजर्वेशन खत्म कर कोई उनका हक नहीं छीन सकता, लेकिन उनकी आंखों के सामने, उनके समर्थन और सहयोग से वंचित उपेक्षित और गरीब वर्गों के अधिकारों को लूटा जा रहा है."
उन्होंने आगे कहा, "जागो "दलित-ओबीसी-आदिवासी और गरीब सामान्य वर्ग" जागो! हिंदू के नाम पर वे आपके अधिकारों को हड़प रहे हैं और आपके अधिकारों को बांट रहे हैं."
लेट्रल एंट्री के 45 पदों को लेकर क्यों मचा है घमासान?
दरअसल, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने शनिवार को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर लेट्रल एंट्री मोड मोड के जरिए से भरे जाने वाले 45 पदों के लिए एक विज्ञापन जारी किया है. इन 45 पदों में संयुक्त सचिवों के 10 और निदेशकों/उप सचिवों के 35 पद शामिल हैं. आमतौर पर ऐसे पदों पर आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) समेत अन्य समूह ए सेवाओं के अधिकारियों की भर्ती की जाती रही है.
लेकिन मोदी सरकार ने साल 2018 में लेट्रल एंट्री शूरू किया, जिसका मकसद निजी क्षेत्र और अन्य गैर-सरकारी संगठनों से विशेष प्रतिभाओं को इन पदों पर भर्ती कर शासन की दक्षता में वृद्धि करना था. तब सरकार ने तर्क दिया था कि इस कदम के पीछे का मकसद सिर्फ प्रशासन में नई सोच और एक्सपर्ट्स को शामिल करना है.
लेटरल एंट्री के जरिए इतने लोगों की हो चुकी हैं भर्तियां
लेटरल एंट्री के जरिए पिछले छह सालों में अब तक 63 नियुक्तियां की जा चुकी हैं, जिनमें से 35 नियुक्तियां प्राइवेट सेक्टर से थीं. हालांकि, भर्ती का यह तरीका शुरू से ही विवादों में रहा है. एक्सपर्ट्स का तर्क है कि यह सिस्टम भारतीय संविधान में निहित रिजर्वेशन सिस्टम को दरकिनार कर देता है.